स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक 2025 लोकसभा से पारित
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- Dec 05, 2025
नई दिल्ली, 5 दिसंबर (हि.स.)। लोकसभा ने शुक्रवार को स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक, 2025 को मंजूरी दे दी। यह विधेयक पान मसाला और गुटखा जैसी वस्तुओं के उत्पादन पर एक नया उत्पादन-आधारित उपकर लगाने का प्रावधान करता है। सरकार ने कहा कि इसका उद्देश्य स्वास्थ्य सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अतिरिक्त फंड जुटाना है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज सदन में विधेयक के उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए कहा कि स्वास्थ्य और राष्ट्रीय सुरक्षा सेस लगाने का प्रस्ताव है, ताकि सार्वजनिक स्वास्थ्य और राष्ट्रीय सुरक्षा- दोनों महत्वपूर्ण उद्देश्यों के लिए लक्षित उपयोग सुनिश्चित हो सके। उन्होंने कहा कि यह उपकर उन वस्तुओं पर लगाया जाएगा जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं और जिनकी खपत को हतोत्साहित करना आवश्यक है।
विधेयक के अनुसार उपकर उन व्यक्तियों या इकाइयों पर लगेगा जो पान मसाला, गुटखा और अन्य निर्दिष्ट उत्पादों के उत्पादन में मशीनें या मैनुअल यूनिट्स संचालित करते हैं। करदाताओं को अपने उत्पादन क्षमता के आधार पर मासिक रूप से उपकर की स्वतः गणना करनी होगी और मासिक रिटर्न दाखिल करना होगा।
मशीन की उत्पादन क्षमता के आधार पर उपकर दरें तय होंगी। उदाहरण के लिए एक मशीन जो प्रति मिनट 500 तक पाउच (प्रति पाउच 2.5 ग्राम तक) बनाती है, उसे 1.01 करोड़ रुपये प्रति माह उपकर देना होगा। 1,001–1,500 पाउच प्रति मिनट उत्पादन क्षमता वाली मशीनें (पाउच वजन 10 ग्राम से अधिक) 25.47 करोड़ रुपये प्रति माह उपकर भरेंगी।
मैनुअल उत्पादन इकाइयों के लिए 11 लाख रुपये प्रति माह की निश्चित उपकर दर होगी। सरकार को सार्वजनिक हित में इन दरों को दोगुना तक बढ़ाने का अधिकार होगा। विधेयक में प्रवर्तन सुनिश्चित करने के लिए उच्च स्तर के निरीक्षण प्रावधान किए गए हैं। आयुक्त स्तर के अधिकारी उत्पादन इकाइयों का ऑडिट और अवैतनिक या कम भुगतान किए गए उपकर की वसूली करेंगे। संयुक्त आयुक्त या उससे ऊपर के अधिकारी निरीक्षण, तलाशी और जब्ती की कार्रवाई कर सकेंगे।
उपकर चोरी में सहायता करने वालों पर 10 हजार रुपये अथवा बचाए गए उपकर की राशि (जो भी अधिक हो) तक का दंड लगेगा। एक करोड़ रुपये से अधिक की चोरी के मामलों में एक से पांच वर्ष तक की सजा तथा जुर्माने का प्रावधान है। इसके अलावा, आदेशों के खिलाफ तीन-स्तरीय अपील प्रणाली—अपील प्राधिकरण, कस्टम्स-एक्साइज-सेवा कर अपीलीय अधिकरण और महत्वपूर्ण कानूनी प्रश्नों पर उच्च न्यायालय—का प्रावधान किया गया है।
सीतारमण ने स्पष्ट किया कि सेस लगाने की संवैधानिक शक्ति अनुच्छेद 270 में निहित है, जो विशेष उद्देश्य के लिए संसद को उपकर लगाने का अधिकार देता है। उन्होंने कहा कि यह धारणा गलत है कि केंद्र सरकार 2014 के बाद सेस लगाने लगी। वर्ष 1974 में कच्चे तेल पर सेस लगाया गया था। 2000 में रोड और इंफ्रास्ट्रक्चर सेस शुरू हुआ। 2001 से नेशनल कैलेमिटी कंटिजेंसी ड्यूटी वसूली जा रही है। 2014-15 से 2025-26 तक स्वास्थ्य और शिक्षा सेस के तहत 6.49 लाख करोड़ रुपये वसूले गए, जिसमें से 6.07 लाख करोड़ रुपये राज्यों को वितरित किए गए।
वित्त मंत्री ने कहा कि रक्षा और स्वास्थ्य की जरूरतों को वर्तमान समय की चुनौतियों के अनुरूप मजबूत करना अनिवार्य है। उन्होंने स्मरण दिलाया कि एक समय ऐसा भी था जब रक्षा मंत्री ने सदन में कहा था कि गोला-बारूद खरीदने के लिए भी पर्याप्त पैसे नहीं थे। उन्होंने कहा कि 1990 के दशक से चले आ रहे बजट अभाव के कारण सेना को 70–80 प्रतिशत तक ही स्वीकृत हथियारों और उपकरणों की उपलब्धता होती थी। उन्होंने कहा, “कारगिल में हमें तैयारी की कमी के कारण नुकसान उठाना पड़ा। हम नहीं चाहते कि ऐसी स्थिति दोबारा आए।”
उन्होंने कहा कि यह उपकर “अवगुण वाली वस्तुओं को सस्ता होने से रोकने” का भी एक तरीका है। उन्होंने कहा कि कोई भी सदस्य नहीं चाहेगा कि पान मसाले पर कर कम किया जाए।
विधेयक में कहा गया है कि उपकर उत्पादन क्षमता पर आधारित होगा, न कि वास्तविक उत्पादन पर। इसके लिए करदाताओं को सभी मशीनों और प्रक्रियाओं की स्वयं घोषणा करनी होगी, जिसे अधिकारी तकनीकी और निरीक्षण आधारित तंत्र से सत्यापित कर सकेंगे। विधेयक के पारित होने के साथ ही केंद्र सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए स्थायी, स्थिर और समर्पित राजस्व स्रोत तैयार करना उसकी शीर्ष प्राथमिकताओं में शामिल है।
वित्त मंत्री ने गुरुवार को स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक 2025 लोकसभा में चर्चा एवं पारित करने के लिए पेश किया था। स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक, 2025 का उद्देश्य पान-मसाला और गुटखा जैसे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक उत्पादों पर एक नई कर-व्यवस्था लागू करना है। पुराने जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर को समाप्त करने के बाद यह एक वैकल्पिक, स्थायी और नियंत्रित कर व्यवस्था होगी। विधेयक के तहत फैक्टरियों के लिए अनिवार्य पंजीकरण, मासिक रिटर्न, निरीक्षण और उल्लंघन की स्थिति में कठोर दंड का प्रावधान है।
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हिन्दुस्थान समाचार / सुशील कुमार



