नोबेल पीस प्राइज वीनर नरगिस मोहम्मदी ईरान में गिरफ्तार:13 बार अरेस्ट हुईं, 31 साल जेल और 154 कोड़ों की सजा सुनाई गई; जानें पूरी प्रोफाइल

ईरान की ह्यूमन राइट एक्टिविस्ट और नोबेल पीस प्राइज विजेता नरगिस मोहम्मदी को ईरानी सुरक्षाबलों ने शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया है। 53 साल की नरगिस, ईरान की मशहाद सिटी में एक मानवाधिकार वकील खोसरो अलिकर्दी की शोक सभा में शामिल होने गई थी। नरगिस की पेरिस स्थित ‘नरगिस फाउंडेशन’ ने बताया है कि उनके साथ और भी कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है। वहीं, नोर्वे की नोबेल समिति ने गिरफ्तारी की निंदा करते हुए ईरान के अधिकारियों से नरगिस को बिना शर्त के रिहा करने की मांग की है। नरगिस मोहम्मदी 2021 से तेहरान की कुख्यात एविन जेल में थी, लेकिन दिसंबर 2024 से मेडिकल प्रोब्लम के चलते अस्थाई रिहाई पर बहार आई हुई थीं। मामा और भाई को फांसी दी तो अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाई नरगिस मोहम्मदी के मामा एक राजनीतिक कार्यकर्ता थे। साल 1978 में ईरानी क्रांति के दौरान उनके मामा को जेल में डाल दिया गया था। एक न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक- उस समय नरगिस छोटी थी और उनकी मां लोकल न्यूज देखती रहती थी ताकि कैदियों के बारे में उन्हें जानकारी मिलती रहे। 1981 में मोहम्मदी ने अपनी मां को जमीन पर बैठकर रोते हुए देखा हुआ था। उस समय उनकी मां के भतीजे यानि नरगिस के चचेरे भाई को फांसी दे दी गई थी। कुछ समय बाद उनके मामा को भी फांसी दे दी गई थी। इसके बाद से ही नरगिस ने ईरान में राजनीतिक कार्यकर्ताओं और महिला अधिकारों के लिए आवाज उठाना शुरू कर दी थी। जेल में ही मिला नोबेल प्राइज नरगिस मोहम्मदी को साल 2023 में नोबेल पीस प्राइज के लिए चुना गया था। यह पुरस्कार पाने वाली वो ईरान की दूसरी महिला हैं। उनको ईरान में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार और राजनीतिक कैदियों के साथ किए जा रहे दुर्व्यवहार के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए यह पुरस्कार दिया गया था। उन्होंने ईरान में मृत्यु दंड के खिलाफ भी आवाज उठाई थी। नोबेल समिति के प्रमुख ने उन्हें ‘स्वतंत्रता सेनानी’ कहा था। जब उन्हें यह प्राइज मिला तब वो तेहरान की एविन जेल के अंदर थी। उनके बच्चों ने यह प्राइज लिया था जो कि पेरिस में रहते है। नरगिस ने अपनी किताब 'व्हाइट टॉर्चर: इंटरव्यूज़ विद ईरानी वुमन प्रिज़नर्स' में अपने और 12 कैदियों के जेल के अनुभव को लिखा हैं। नरगिस को 31 साल का कारावास, 154 कोड़ों की सजा नरगिस मोहम्मदी पिछले 30 सालों से ईरान में मानव अधिकारों की लड़ाई लड़ रही हैं। इस दौरान उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा। वो अभी तक 13 बार गिरफ्तार हो चुकी हैं। पहली बार उन्हें 2011 में हिरासत में लिया था। इसके बाद 2015 में उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ दुष्प्रचार करने के आरोप में गिरफ्तार कर जंजन की सेंट्रल जेल में रखा गया था। इसके बाद 2020 में नरगिस को सजा कम होने पर रिहा कर दिया था। उनके ‘नरगिस फाउंडेशन’ के अनुसार नरगिस को 31 साल और 154 कोड़ों की सजा सुनाई गई है। हालांकि उन्हें कोड़ों की सजा अभी नहीं दी गई है। महसा आंदोलन में जेल से लिखती रही नरगिस सितंबर 2022 में ईरान में हिजाब के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन में 22 साल की महसा अमीनी को ईरान की पुलिस ने ड्रेस कोड को पालन नही करने के आरोप में हिरासत में लिया था। इसके बाद पुलिस कस्टडी में ही अमीनी की मौत हो गई थी। अमीनी की मौत से ईरान में प्रदर्शन और बड़ गया था। इस दौरान नरगिस ने जेल से कहा था कि -’ईरानी महिलाओं के खिलाफ धर्मतांत्रिक सत्तावादी शासन के उत्पीड़न" का प्रतीक बन गया है’। उसी समय न्यूयॉर्क टाइम्स के लिए लिखते हुए नरगिस ने कहा था कि - "सरकार शायद यह नहीं समझ पा रही है कि वे हममें से जितने अधिक लोगों को जेल में डालेंगे, हम उतने ही मजबूत होते जाएंगे।" पति और बच्चों को देश छोड़कर भागना पड़ा था नरगिस मोहम्मदी ने 1999 में कॉलेज के साथी ताघी रहमानी से शादी की थी। रहमानी ईरान में पॉलिटिकल एक्टिविस्ट थे। साल 2006 में नरगिस और रहमानी को दो जुड़वां बच्चे एक बेटा और बेटी हुए। 2009 में नरगिस की गिरफ्तारी होने पर उनके पासपोर्ट को जब्त कर लिया था। इसके बाद उनके पति रहमानी और बच्चे ईरान छोड़कर भाग गए थे और फ्रांस में रहने लग गए थे। नरगिस अपने पति और बच्चों से मिल भी नही पाती हैं। स्‍टोरी - ममता कुमारी ---------------------- ये खबरें भी पढ़ें... UGC, AICTE, NCTE को मिलाकर होगा एक बोर्ड: केंद्रीय कैबिनेट ने 'विकसित भारत शिक्षा अधिक्षण बिल' को मंजूरी दी, मेडिकल-लॉ स्‍टडीज पर लागू नहीं केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को 'विकसित भारत शिक्षा अधीक्षण विधेयक' को मंजूरी दे दी है। इसके तहत अब हायर एजुकेशन के लिए देश में एक बोर्ड होगा और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC), अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) और राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) जैसे पुराने नियामकों को एक कर दिया जाएगा। हालांकि, मेडिकल और लॉ स्‍टडीज इसके दायरे से बाहर रहेंगी। पूरी खबर पढ़ें...