तिरूपति बालाजी मंदिर में आस्था के नाम पर एक और धाेखाधड़ी, सिल्क के स्थान पर पॉलिएस्टर के दुपट्टे की आपूर्ति
- Admin Admin
- Dec 10, 2025
350 रुपये पाॅलिएस्टर का दुपट्टा सिल्क का बताकर 1,300 में बेचाप्रदेश सरकार ने राज्य भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को सौंपी जांच
तिरुपति, 10 दिसंबर (हि.स.)। कराेड़ाें लाेगाें की आस्था से जुड़े तिरूपति बालाजी मंदिर में आस्था के नाम पर एक और धाेखाधड़ी का मामला सामने
आया है। मंदिर में प्रसाद के तौर पर दिए जाने वाले दुपट्टे (अंगवस्त्रम) के लिए मलबेरी सिल्क फैब्रिक की जगह पॉलिएस्टर फैब्रिक सप्लाई की
गई है। इसमें लगभग 54 कराेड़ रुपये का घाेटाला किया गया है। मंदिर प्रबंधन बाेर्ड ने दुपट्टा आपूर्ति करने वाली कंपनी के माैजूदा सभी टेंडर रद्द
कर दिए हैं और पूरे मामले की जांच राज्य भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को सौंप दी है। इससे पहले मंदिर में प्रसाद के लड्डू के लिए मिलावटी घी की
आपूर्ति और चढ़ावे की नकदी चोरी का भी मामला सामने आया था।
आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण ने बुधवार काे यहां मीडिया से वार्ता के दाैरान तिरुमला तिरुपति देवस्थानम में हाल ही में रेशम कपड़े के बने दुपट्टा की आपूर्ति में हुए घोटाले पर जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि नकली सिल्क दुपट्टों के स्थान पर पॉलिएस्टर फैब्रिक सप्लाई कर लगभग 54 करोड़ रुपये का धोखाधड़ी सामने आई है। उन्होंने बताया कि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के अधिकारियों ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है।
उपमुख्यमंत्री कल्याण ने बताया कि परकामनी (वह कोष जहां भक्तों के चढ़ावे की गिनती की जाती है) के मामले में कई लोगों ने गैर-कानूनी तरीके से काम किया है। तिरुमला के पराकामनी में करोड़ों रुपये का घोटाला सामने आया था है। यहां भक्तों के दान से मिली विदेशी मुद्रा के बड़े पैमाने पर दुरुपयोग के आरोप लगे थे। उन्हाेंने बताया कि तिरुमला बालाजी मंदिर में कुछ लोगों ने हमेशा अपनी मनमानी की है। अब यहां सिल्क के स्थान पर पाॅलिएस्टर सप्लाई की बात सामने आई है। यह खुलासा तिरुमला तिरुपति बोर्ड और राज्य सरकार की सतर्कता से हुआ है।
उन्हाेंने कहा कि अब पूरा सच पता चल जाएगा। इसके लिए आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश अनुसार सीआईडी अब इस मामले की गहराई से जांच करने की तैयारी में है। ताकि पर्दे के पीछे कथित रूप से शामिल प्रभावशाली लोगों का पर्दाफाश किया जा सके। उपमुख्यमंत्री के अनुसार एक ठेकेदार ने शुद्ध मुलबेरी सिल्क दुपट्टों की जगह लगातार साै प्रतिशत पॉलिएस्टर दुपट्टे आपूर्ति किए हैं। बोर्ड ने अध्यक्ष बीआर नायडू के निर्देश पर एक आंतरिक छानबीन शुरू की गई थी, जिसके बाद पूरा मामला सामने आया है।
उन्हाेंने बताया कि मंदिर प्रशासन ने एक पॉलिएस्टर दुपट्टे की वास्तविक कीमत लगभग 350 तय की थी, लेकिन तिरुमला मंदिर का प्रबंधन करने वाले तिरुमला तिरुपति देवस्थानम् को वही पाॅलिएस्टर का 350 रुपये वाला दुपट्टा सिल्क का बताकर 1,300 रुपये में बेचा गया। ये घोटाला वर्ष 2015 से चल रहा था। इस दौरान बालाजी मंदिर की प्रशासन ने संबंधित ठेकेदार को लगभग 54 करोड़ रुपये का भुगतान किया है।
बालाजी मंदिर बोर्ड के चेयरमैन बीआर नायडू के अनुसार मंदिर में दान देने वाले बड़े दानकर्ता को प्रसाद के तौर पर सिल्क दुपट्टा ओढ़ाया जाता है।
इसके अलावा वेदाशीर्वचनम् जैसे पूजा-अनुष्ठानों में सिल्क दुपट्टे इस्तेमाल होते हैं। उनमें भी सस्ता पॉलिएस्टर का दुपट्टा इस्तेमाल किया गया।
नायडू ने कहा कि दुपट्टों के सैंपल वैज्ञानिक जांच के लिए दो लैब्स में भेजे गए थे, जिनमें से एक लैब केंद्रीय रेशम बोर्ड (सीएसबी) के तहत है। दोनों रिपोर्टों में दुपट्टे का कपड़ा पॉलिएस्टर निकला। इन दुपट्टों पर असली सिल्क की पुष्टि करने वाला ‘सिल्क होलोग्राम’ भी नहीं मिला, जो लगाना अनिवार्य था। नायडू ने बताया कि एक ही कंपनी और उससे जुड़ी इकाइयां पिछले 10 साल से मंदिर को दुपट्टा आपूर्ति कर रही थीं। जांच रिपोर्ट आने के बाद मंदिर प्रशासन और ट्रस्ट बोर्ड ने कंपनी की सभी मौजूदा टेंडर रद्द कर दिए हैं और पूरे मामले को राज्य भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को जांच के लिए सौंप दिया है।
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हिन्दुस्थान समाचार / नागराज राव



