छात्रों ने किसानों को बताई बीज उपचार तकनीक

धमतरी, 3 दिसंबर (हि.स.)। कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, कुरुद के चतुर्थ वर्ष के विद्यार्थियों द्वारा ग्रामीण कृषि कार्य अनुभव (रावे) कार्यक्रम के अंतर्गत बुधवार को ग्राम बानगर में चना फसल का प्रयोगात्मक प्लाट आधारित प्रदर्शन सफलतापूर्वक आयोजित किया गया। कुल 10 डिसिमल क्षेत्र में किए गए इस वैज्ञानिक फील्ड-प्रयोग का उद्देश्य किसानों को चना फसल में विभिन्न जैविक एवं रासायनिक बीज उपचार तकनीकों और उनके प्रभावों से अवगत कराना था।

प्रदर्शन के दौरान 10 डिसिमल भूमि को आठ अलग-अलग प्लॉट्स में विभाजित किया गया और प्रत्येक प्लाट में विभिन्न बीज उपचार विधियों के साथ चना की बुवाई की गई। इनमें ट्राइकोडर्मा, पीएसबी, बेसिलस आधारित जैव-उपचार, राइजोबियम, थियोफेनेट मिथाइल, स्युडोमोनास फ्लोरेसेंट, पारंपरिक बीजामृत तथा नियंत्रण प्लाट (बिना उपचार) शामिल थे। इन सभी उपचारों के आधार पर बीज अंकुरण, पौधों की वृद्धि, रोग-नियंत्रण क्षमता तथा फसल प्रदर्शन का तुलनात्मक अध्ययन किया गया। प्रयोगात्मक प्रदर्शन से उपस्थित किसानों को बीज उपचार की वैज्ञानिक आवश्यकता, फसल सुरक्षा में जैविक एवं रासायनिक तकनीकों की उपयोगिता तथा नियंत्रण और उपचारित प्लॉट्स के बीच के अंतर को प्रत्यक्ष रूप से समझने का अवसर मिला।

वहीं छात्रों को भी फील्ड प्रयोग की डिजाइन, स्थापना एवं प्रबंधन का महत्वपूर्ण व्यावहारिक अनुभव प्राप्त हुआ। यह कार्यक्रम कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, कुरूद के अधिष्ठाता डाॅ नवनीत राणा के मार्गदर्शन, कार्यक्रम समन्वयक डा भूमिका हत्गिया के निर्देशन तथा विनोद मरकाम और डाॅ हरीश कुंवर के सहयोग से सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। रावे कार्यक्रम के इस प्रदर्शन ने किसानों में वैज्ञानिक कृषि पद्धतियों को अपनाने की दिशा में जागरूकता बढ़ाने में अहम योगदान दिया है।

हिन्दुस्थान समाचार / रोशन सिन्हा