एडीजी ने गोरखपुर जोन के आत्महत्या के आंकड़े जारी किए, कहा- इसे राेकने के लिए समाज भी आगे आए
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- Dec 01, 2025
एडीजी जोन ने जारी किए जिला-वार आंकड़े, कारणों की पहचान और रोकथाम के लिए समाज से की अपील
गोरखपुर, 1 दिसंबर (हि.स.)। गोरखपुर जोन में आत्महत्याओं की बढ़ती घटनाओं काे गंभीरता से लेते हुए अपर पुलिस महानिदेशक (एडीजी) मुथा अशोक जैन ने सोमवार को जोन कार्यालय पर प्रेस वार्ता कर वर्ष 2021 से 2025 तक के पाँच वर्षीय आंकड़े जारी किए। उन्होंने बताया कि दहेज हत्या को छोड़कर आत्महत्याओं में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। इसके पीछे परिवारिक विवाद, आर्थिक तनाव, मानसिक अवसाद जैसे कारण प्रमुख रूप से सामने आए हैं।
एडीजी ने सभी जिलों के एसएसपी/एसपी को निर्देश दिया है कि आत्महत्याओं के कारणों का गहन विश्लेषण किया जाए। इसके लिए थानेवार विवरण, आयु-आधारित वर्गीकरण, विवाहित/अविवाहित स्थिति और घटना के कारणों की सटीक जांच कर विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाएगी। साथ ही जिलाधिकारी, मुख्य चिकित्साधिकारी और समाज कल्याण विभाग के साथ संयुक्त बैठकों के माध्यम से जोन-स्तरीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति लागू की जाएगी।
जिलेवार पाँच वर्षीय
(2021–2025) आत्महत्या के आंकड़े
देवरिया 118, 134, 69, 69, 25 — 415
गोरखपुर 56, 80, 63, 41, 22 — 262
महाराजगंज 72, 89, 52, 46, 22 — 281
बस्ती 70, 93, 98, 90, 25 — 376
संतकबीरनगर 25, 38, 32, 38, 25 — 158
सिद्धार्थनगर 38, 55, 47, 41, 30 — 211
गोंडा 33, 59, 51, 45, 27 — 215
बलरामपुर 17, 32, 27, 30, 12 — 118
बहराइच 49, 62, 48, 65, 32 — 256
श्रावस्ती 33, 27, 21, 23, 16 — 120
कुल पाँच वर्षों में आत्महत्याओं की संख्या — 2,410 से अधिक
एडीजी ने बताया कि परिवारिक विवाद,आर्थिक संकट और कर्ज, मानसिक तनाव व अवसाद,बीमारी/लंबी बीमारी से उत्पन्न तनाव,सामाजिक दबाव के कारण यह घटनाएं बढ़ रही हैं। एडीजी ने कहा कि इन कारणों की गहराई से पहचान कर समय रहते हस्तक्षेप करना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि कई मामलों में छोटी समस्याएं भी बिना सही मार्गदर्शन के गंभीर निर्णय तक पहुँचा देती हैं।
आत्महत्याएं राेकने के लिए करें प्रयास
एडीजी ने कहा कि इस प्रकार की घटनाओं काे राेकने के लिए संवाद और संवेदनशीलता कारगर है। उन्हाेंने परिवारों से अपील की कि वे आपसी संवाद मजबूत करें और तनावग्रस्त व्यक्ति को सुने, डांटने के बजाय सहारा दें, विवादों को समय रहते सुलझाएँ,जरूरत पड़ने पर चिकित्सकीय व मनोवैज्ञानिक परामर्श लें। उन्हाेंने युवाओं काे भी संदेश दिया कि वे समझें कि असफलता जीवन का अंत नहीं, अवसर है, भावनात्मक निर्णय न लें और अपनी समस्याएँ साझा करने के साथ ही भविष्य को सोचकर निर्णय लें। प्रेस वार्ता में एडीजी ने समाज से भी अपील की कि मानसिक स्वास्थ्य पर संवेदनशील बन कर अवसादग्रस्त व्यक्ति को सहयोग दें और नकारात्मक टिप्पणियों और सामाजिक अपमान से बचें ।
इस माैके पर उन्हाेंने प्रशासन और पुलिस के लिए निर्देश दिए हैं कि हर जिले में थानेवार विश्लेषण के साथ ही काउंसलिंग सेल को सक्रिय कर स्वास्थ्य एवं समाज कल्याण विभाग के साथ संयुक्त रणनीति बनाकर संकटग्रस्त परिवारों तक समय से पहुँचना और. आर्थिक संकट झेल रहे लोगों के लिए अपील मदद के उपाय तलाशें । साथ ही सरकारी सहायता योजनाओं का लाभ लें।
हिन्दुस्थान समाचार / प्रिंस पाण्डेय



