शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य चरित्र निर्माण: राज्यपाल

- दून विवि के दीक्षांत समारोह में राज्यपाल ने छात्राें काे दिया सफलता का मंत्र - दीक्षांत समाराेह में विभिन्न संकायाें के 42 विद्यार्थियाें काे मिला स्वर्ण पदक

देहरादून, 29 दिसंबर (हि.स.)। राज्यपाल एवं कुलाधिपति लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि.) ने सोमवार को दून विश्वविद्यालय के छठे दीक्षांत समारोह में विभिन्न संकायों के 42 छात्र-छात्राओं को स्वर्ण पदक से सम्मानित किया।

इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि विकसित भारत @2047 का लक्ष्य केवल आर्थिक नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय, सांस्कृतिक गौरव और मानवीय मूल्यों पर आधारित है। राज्यपाल ने कहा कि दीक्षांत केवल उपाधि प्राप्ति का क्षण नहीं,बल्कि जिम्मेदार नागरिक बनने की यात्रा की शुरुआत है। उन्होंने छात्रों से आह्वान किया कि वे एआई का नैतिक और समाजोपयोगी उपयोग करते हुए स्थानीय समस्याओं के समाधान में नवाचार-आधारित योगदान दें। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का उल्लेख करते हुए कहा कि इसका उद्देश्य ‘जॉब सीकर’ नहीं, बल्कि ‘जॉब क्रिएटर’ तैयार करना है।

राज्यपाल ने शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य चरित्र निर्माण बताया और छात्रों को सत्य, ईमानदारी, अनुशासन और राष्ट्रहित को जीवन का मार्गदर्शक बनाने का संदेश दिया। राज्यपाल ने महिलाओं की बड़ी भागीदारी पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि महिलाओं की प्रगति राज्य की वास्तविक प्रगति है। राज्यपाल ने छात्रों से अपील की कि वे दुर्व्यसन,नशे और डिजिटल लत से दूर रहें, अपनी शिक्षा का सही उपयोग करें और ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना अपनाएँ। उन्होंने छात्राओं की बढ़ती भागीदारी पर प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि महिलाओं की प्रगति ही राज्य की वास्तविक प्रगति है।

इस अवसर पर उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने उपाधि मिलने वाले विद्यार्थियाें को उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं देते हुए कहा कि राज्य और राष्ट्र हित में अपना योगदान देते रहे। दीक्षांत समारोह के मुख्य वक्ता एवं आईआईटी बॉम्बे के प्रोफेसर गणेश रामकृष्णन ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस किसी प्रकार की बाधा नहीं, बल्कि अपार संभावनाओं से भरा अवसर है। उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे एआई को केवल उपयोग करने तक सीमित न रखें, बल्कि उसे आत्मसात करते हुए उपयोगकर्ता से निर्माता बनने की दिशा में ठोस कदम बढ़ाएं, ताकि तकनीक समाज और राष्ट्र के लिए सृजन का माध्यम बन सके।

राज्यपाल ने दून विश्वविद्यालय के विभिन्न संकायों के 42 छात्र-छात्राओं को स्वर्ण पदक से सम्मानित किया,जिनमें से 34 छात्राएं अव्वल रहीं। इस अवसर पर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल ने विश्वविद्यालय की प्रगति आख्या एवं विश्वविद्यालय में संचालित सेंटर फॉर हिंदू स्टडीज और डॉ. अम्बेडकर चेयर की जानकारी देते हुए बताया कि भारतीय ज्ञान परंपरा, सामाजिक न्याय, महिला सशक्तीकरण और समतामूलक समाज के निर्माण में ऐसे शैक्षणिक प्रयासों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश कुमार