शक्तिपीठ मां विशालाक्षी मंदिर के शिखर का कुंभाभिषेक,गौरीपूजन से धार्मिक अनुष्ठान की शुरूआत

मां विशालाक्षी

— संगम के जल से शिखर का अभिषेक,शिखर पर छह स्वर्ण कलश स्थापित

—माता रानी के अभिषेक के बाद दरबार आम श्रद्धालुओं के लिए खुला

वाराणसी,1 दिसम्बर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी काशी (वाराणसी)में स्थित मां सती के 51 शक्तिपीठों में से एक मां विशालाक्षी शक्तिपीठ के शिखर का कुंभाभिषेक अनुष्ठान सोमवार को श्रीयुक्त काशी नाट्टकोट्टई नगरम मैनेजिंग सोसाइटी की देखरेख में धूमधाम और वैदिक परंपराओं के साथ संपन्न हुआ। मुख्य अनुष्ठान की शुरूआत गौरी पूजन से हुआ। इसके बाद सुबह सात बजे से पूर्वांह नौ बजे तक यज्ञ 11 तमिल ब्राह्मणों की देखरेख में किया गया। इस दौरान वैदिक मंत्रोंच्चार से समूचे परिसर सहित आसपास का वातारण में भी आध्यात्मिक ऊर्जा की धारा बही। प्रत्येक 12 वर्ष पर होने वाला मां विशालाक्षी शक्तिपीठ का यह नौवां कुंभाभिषेक है।

मंदिर के महंत और काशी पत्रकार संघ के पूर्व अध्यक्ष पं.राजनाथ तिवारी ने बताया कि सुबह 10 से 10:20 बजे तक कुंभाभिषेक की प्रकिया हुई। इसमें संगम के जल से मंदिर के शिखर का अभिषेक किया गया। इसके बाद शिखर पर छह स्वर्ण कलश स्थापित किए गए। उन्होंने बताया कि श्री काशी विश्वनाथ, मां अन्नपूर्णा, संत रविदास और कैथी मार्कंडेय महादेव के बाद मां विशालाक्षी का पांचवां स्वर्ण मंदिर बन गया है। इस अवसर पर मंदिर में कांची की कामाक्षी, मदुरै की मीनाक्षी, काशी विशालाक्षी, गणेश और कार्तिक भगवान की नई प्रतिमाएं स्थापित की गई ।

महंत राजनाथ तिवारी ने बताया कि स्वर्ण शिखर से धागा लाकर प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान किया गया। अनुष्ठान के बाद माता विशालाक्षी के विग्रह का अभिषेक कर हाथ में कलावा बांधा गया। माता रानी के विधि विधान से पूजन अर्चन के बाद मंदिर का पट आमजन के लिए खुल गया। इससे पूर्व मंदिर से भव्य शोभायात्रा निकाली गई। जो मीरघाट, त्रिपुरा भैरवी, दशाश्वमेध, गोदौलिया का चक्रमण कर मंदिर वापस पहुंची। बताते चले मंदिर के मुख्य शिखर के कुंभाभिषेक के पूर्व रविवार शाम को मां की आरती और पूजन के साथ ही गर्भगृह के कपाट 45 घंटे के लिए बंद कर दिए गए। मां विशालाक्षी के कुंभाभिषेक के अनुष्ठान के बाद मंदिर का पट खुला।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी