सार्वभौमिक मानवाधिकार घोषणा के अंगीकरण में भारत की भूमिका अहम : डॉ बी डी पाण्डेय

कानपुर, 10 दिसंबर (हि. स.)। उत्तर प्रदेश के कानपुर जनपद में कल्याणपुर स्थित छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएमयू) की तरफ से राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के मौके पर एक विशेष अतिथि व्याख्यान का आयोजन सेंटर ऑफ़ एकेडेमिक्स के कॉन्फ्रेंस हॉल में किया गया हैं। यह जानकारी बुधवार को सीएसजेएमयू के मीडिया प्रभारी डॉ दिवाकर अवस्थी ने दी।

सीएसजेएमयू मीडिया प्रभारी डॉ दिवाकर अवस्थी ने बताया कि यह कार्यक्रम अटल बिहारी वाजपेयी स्कूल ऑफ़ लीगल स्टडीज़, विधि विभाग की तरफ से सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि डॉ. बी. डी.पाण्डेय, जेल अधीक्षक कानपुर नगर उपस्थित हुए। साथ ही कार्यक्रम की अध्यक्षता सीएसजेएमयू के प्रतिकुलपति प्रोफ़ेसर सुधीर कुमार अवस्थी ने की।

प्रति कुलपति प्रो. सुधीर अवस्थी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मानवाधिकारों के वैश्विक महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि घृणा अपराध से होनी चाहिए, अपराधी से नहीं। उन्होंने कहा कि शिक्षा, लिंग अथवा सामाजिक पृष्ठभूमि के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव अनुचित है। उन्होंने मानव मूल्य आधारित पाठ्यक्रमों के समावेशन तथा न्याय के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए विधिक सहायता कार्यक्रमों को सुदृढ़ बनाने पर बल दिया।

मुख्य अतिथि डॉ. बी. डी. पाण्डेय ने कहा कि मानवाधिकारों की उत्पत्ति, सार्वभौमिक मानवाधिकार घोषणा (यूडीएचआर) तथा उसके अंगीकरण में भारत की भूमिका है। जो 54 देशों में से एक था। इस विषय पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि मानवाधिकार उल्लंघन की संभावनाओं को रेखांकित करते हुए विभिन्न जनपद कारागारों में अपने अनुभव साझा किए। डॉ. पांडे ने वाराणसी जेल में अपने कार्यकाल के दौरान आधुनिक तकनीकी संसाधनों के उपयोग और प्रशासनिक सुधारों की जानकारी दी। साथ ही उन्होंने बताया कि किस प्रकार जिला अस्पताल के सहयोग से कैदियों को किडनी व कैंसर उपचार जैसी चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की गई है।

कार्यक्रम के अंत में अटल बिहारी वाजपेयी स्कूल ऑफ़ लीगल स्टडीज़ के सहायक निदेशक समीउद्दीन ने संसाधन व्यक्ति, प्रो-वीसी तथा सभी प्रतिभागियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। शशिकांत त्रिपाठी आशुतोष बाजपेई, डॉ दिव्यांश शुक्ला, डॉ स्मृति रॉय एवं अन्य उपस्थित रहे। साथ ही अशुतोष बाजपेयी, अध्यक्ष, एएमएससीएस कानपुर ने भी विशेष अतिथि के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

यह कार्यक्रम मानव मर्यादा, समानता एवं न्याय के सिद्धांतों को सशक्त रूप से अभिव्यक्त करता हुआ राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस की भावना को सफलतापूर्वक प्रदर्शित करता है। शिक्षाविदों ने मानवाधिकारों के महत्व पर अपने विचार प्रस्तुत किए।

हिन्दुस्थान समाचार / मो0 महमूद