गुरुग्राम: डिजिटल अरेस्ट पीडि़त बनकर साइबर अपराध थाना पहुंचे डीजीपी

-पुलिस की कार्यप्रणाली जांचने को डीजीपी ने किया यह काम

गुरुग्राम, 1 दिसंबर (हि.स.)। साइबर अपराध को लेकर गुरुग्राम पुलिस के साइबर थाना की कार्यप्रणाली जांच के लिए हरियाणा के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ओ.पी. सिंह स्वयं डिजिटल अरेस्ट पीडि़त बनकर साइबर अपराध थाना पूर्व गुरुग्राम में पहुंचे। उन्होंने ऐसा इसलिए किया ताकि आम नागरिकों को मिलने वाली वास्तविक प्रक्रिया, व्यवाहार और सहायता की गुणवत्ता का जमीनी स्तर पर आंकलन किया जा सके।डीजीपी ओ.पी. सिंह ने सोमवार को थाना साइबर अपराध पूर्व गुरुग्राम का औचक निरीक्षण किया। डिजिटल अरेस्ट पीडि़त के रूप में उन्होंने थाना में शिरकत की। थाने में तैनात संतरी ने निर्धारित प्रोटोकॉल के अनुसार उन्हें शोध अधिकारी से मिलने तथा शिकायत दर्ज कराने की प्रक्रिया समझाई। इस दौरान पुलिस महानिदेशक ने थाने की कार्यप्रणाली, पीडि़त सहायता व्यवस्था, रिस्पॉन्स सिस्टम और जागरूकता तंत्र की गहन समीक्षा की। निरीक्षण के बाद पत्रकारों से बातचीत में डीजीपी ओ.पी. सिंह ने साइबर अपराधों से बचाव, पीडि़तों को त्वरित राहत दिलाने और समाज को अधिक जागरुक बनाने के लिए उठाए जा रहे कदमों की जानकारी सांझा की। उन्होंने कहा कि हरियाणा पुलिस साइबर अपराधों की बदलती चुनौतियों से निपटने के लिए लगातार ठोस, प्रभावी और नवाचारी रणनीति अपना रही है। डीजीपी ने बताया कि साइबर ठगी के मामलों में छोटी राशियों के फ्रीज होने पर पीडि़तों को आर्थिक राहत तेजी से उपलब्ध करवाने के लिए पुलिस लोक अदालत की मदद लेगी, ताकि उन्हें बिना देरी रकम की वापसी मिल सके। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि किसी साइबर ठगी में बैंक की ओर से लापरवाही सामने आती है तो पीडि़त को हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई का दायित्व बैंक पर रहेगा। यह पीडि़तों के अधिकारों की एक महत्वपूर्ण सुरक्षा है।समाज को साइबर सुरक्षित बनाने के लिए डीजीपी ओ.पी. सिंह ने कहा कि जागरुकता को अभियान-स्तर पर ले जाया जाएगा। सोशल मीडिया, सामुदायिक कार्यक्रमों और राज्यव्यापी अभियानों के साथ स्कूल और कॉलेजों में हेड स्टूडेंट्स की विशेष टीमें गठित की जाएंगी। उन्हें साइबर अवेयरनेस एंबेसडर बनाया जाएगा। ये एंबेसडर अपने संस्थानों में साथियों को साइबर अपराधों से बचाव की जानकारी देंगे।

हिन्दुस्थान समाचार / ईश्वर