बौद्धिक सम्पदा अधिकार आधुनिक युग की सबसे मूल्यवान सम्पत्ति: कुलपति

अयोध्या, 02 दिसम्बर (हि.स.)। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के श्रीराम शोध पीठ सभागार में बौद्धिक सम्पदा अधिकार (आईपीआर) विषय पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन आईक्यूएसी द्वारा आयोजित किया गया। जिसकी अध्यक्षता कुलपति कर्नल डॉ. बिजेंद्र सिंह ने किया। वक्ता के रूप में सनशैडो कंसलटेंट प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली की प्रेसिडेंट डॉ. मोनिका शुक्ला एवं वाईस प्रेसिडेंट विजय शर्मा रहे।

अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति डॉ. बिजेंद्र सिंह ने बताया कि बौद्धिक सम्पदा अधिकार मानव रचनात्मकता के परिणाम, आविष्कार, और ब्रांडों के लिए कानूनी अधिकार है। उनके दुरुपयोग से बचाने के लिए शोधकर्ता या निर्माणकर्ता को क़ानूनी अधिकार प्रदान करता है। कुलपति ने कहा कि आज की इस तकनीकी युग में नए आविष्कारों और नई प्रगति की सुरक्षा पेटेंट के माध्यम से की जाती है। आईपीआर आधुनिक युग की सबसे मूल्यवान सम्पत्ति है, यह मानवीय विकास को गति देने वाली तकनीक को पुरस्कृत करती है। भारत डबल्यू आईपीओ का भी सक्रिय सदस्य है, इसके तहत शोध-पत्र, नई डिज़ाइन, कॉपीराइट, ट्रेडमार्क और औद्योगिक डिज़ाइन आते हैं।

डॉ. मोनिका ने कहा कि आईपीआर की आज के आधुनिक युग में बेहद आवश्यकता है। उच्च शिक्षा में इस क्षेत्र में काफ़ी काम किए जाने की जरूरत है। आईपीआर शोध और विकास में अधिकारों को संरक्षित करता है और वैधानिक मंच प्रदान कर उसे अनाधिकृत उपयोग से रोकता है। पहले की अपेक्षाकृत अब पेटेंट पर काफ़ी काम हो रहा है। इससे लोगों की रचनात्मकता और खोज की सुरक्षा करता है। आईपीआर अंतरराष्ट्रीय मानकों पर देश और संस्थान की प्रतिष्ठा को बढ़ाता है। आईपीआर के प्रमुख बिंदुओं पर प्रकाश डालते हुए विजय शर्मा ने कहा कि विज्ञान, प्रौद्योगिकी और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में आईपीआर पर काफ़ी कार्य हो रहा है। आईक्यूएसी के निदेशक प्रो. हिमांशु शेखर ने कहा कि आईपीआर नवाचार को बढ़ावा देता है और निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करता है।

हिन्दुस्थान समाचार / पवन पाण्डेय