शोधपीठ में योग कार्यशाला के तीसरे दिन आनलाइन व्याख्यान के साथ हुआ योग प्रशिक्षण कार्यक्रम

गोरखपुर, 11 दिसम्बर (हि.स.)। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय स्थित महायोगी गुरु श्रीगोरक्षनाथ शोधपीठ द्वारा कुलपति प्रो. पूनम टण्डन के संरक्षण में चल रहे सप्तदिवसीय शीतकालीन योग कार्यशाला विषय ’योग एवं नाथपंथ’ 11 दिसम्बर को योग कार्यशाला के तीसरे दिन भी प्रतिभागियों की काफी संख्या रही। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. सोनू द्विवेदी, आचार्य, सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा, उत्तराखंड रहे।

सुबह योग प्रशिक्षण डा. विनय कुमार मल्ल द्वारा दिया गया। उन्होंने विभिन्न योगासनों, सूर्य नमस्कार, ताड़ासन, सिंहासन, पद्मासन, उत्तानपादासन आदि एवं प्राणायाम का प्रशिक्षण दिया। इसमें स्नातक, परास्नातक, आदि के विद्यार्थी सम्मिलित हुए। पूर्वान्ह 11 बजे आनलाइन माध्यम से ‘हठयोग प्रदीपिका’ विषय पर कार्यशाला की गई। कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि के स्वागत के साथ शोधपीठ के सहायक निदेशक डॉ. सोनल सिंह द्वारा हुआ।

कार्यशाला के मुख्य वक्ता डॉ. सोनू द्विवेदी ने कहा कि हठयोग प्रदीपिका नाथ की योग परम्परा में व्यावहारिक एवं महत्त्वपूर्ण संकलन है। यह नाथ परम्परा की देन है। इस ग्रंथ ने नाथपंथ की शिक्षाओं को बढ़ाने का कार्य किया है। योग की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि शरीर और मन के बीच संतुलन स्थापित करना हठयोग का उद्देश्य है। आसन और प्राणायाम से शरीर को संतुलित और निरोग किया जाता है।

इस आनलाइन व्याख्यान में कार्यक्रम का संचालन शोधपीठ के रिसर्च एसोसिएट डॉ. सुनील कुमार द्वारा किया गया। शोधपीठ के शोध अध्येता डॉ. हर्षवर्धन सिंह ने मुख्य वक्ता एवं समस्त प्रतिभागियों एवं श्रोताओं का धन्यवाद ज्ञापित किया। शोधपीठ के सहायक ग्रन्थालयी डॉ. मनोज कुमार द्विवेदी, चिन्मयानन्द मल्ल आदि उपस्थित रहे। विभिन्न विश्वविद्यालयों के शिक्षकों के साथ ही विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के आचार्य सहित डॉ. राजेश मिश्र, डॉ. रेनू चौधरी आदि जुड़े रहे।

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हिन्दुस्थान समाचार / प्रिंस पाण्डेय