जलाशयों के पास इमारत निर्माण के लिए मछली पालन विभाग की मंजूरी अनिवार्य

कोलकाता, 11 फरवरी (हि. स.)। बंगाल के कई इलाकों में हाल ही में मकानों के झुकने की घटनाएं सामने आई हैं। इसको लेकर राजनीतिक विवाद भी हुआ है। इसी स्थिति को देखते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देश पर राज्य के मत्स्य विभाग ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। अब जलाशय, नहर, तालाब या झीलों के पास किसी भी तरह का निर्माण करने से पहले विभाग की ‘एनओसी’ (अनापत्ति प्रमाणपत्र) लेना अनिवार्य होगा। बिना इसकी अनुमति के निर्माण को वैध नहीं माना जाएगा।

पहले से ही किसी भी जलाशय को पाटकर बनाए गए भूखंड पर निर्माण के लिए मछली पालन विभाग की अनुमति आवश्यक थी। लेकिन अब इसके साथ-साथ उसके आसपास के क्षेत्र में भी निर्माण करने से पहले विभाग की मंजूरी लेनी होगी। राज्य के मत्स्य मंत्री बिप्लब राय चौधरी ने मंगलवार को कहा कि जिस तरह से इमारतें झुक रही हैं, उसे देखकर ही यह फैसला लिया गया है।

मत्स्य विभाग ने निर्देश दिया है कि जिलों में उप-अधिकारियों के नेतृत्व में एक ‘टास्क फोर्स’ बनाई जाएगी, जो इन इलाकों में निर्माण पर निगरानी रखेगी। यदि किसी भी निर्माण में नियमों का उल्लंघन पाया गया, तो विभाग उसे ध्वस्त करने की कार्रवाई करेगा। अधिकारियों का मानना है कि इस तरह की अनियमित निर्माण गतिविधियां प्राकृतिक संतुलन को नुकसान पहुंचा रही हैं।

सेवानिवृत्त लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) इंजीनियर बिमलेंदु दत्त गुप्ता का कहना है कि निर्माण से पहले यह जांचना जरूरी है कि जिस जमीन पर इमारत बनाई जा रही है, वह पहले जलाशय तो नहीं थी। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि अगर किसी जगह चार एकड़ में एक झील है और उसके आसपास का क्षेत्र भले ही अब सूखा दिखता हो, लेकिन पहले वहां जलाशय था, तो वहां निर्माण खतरनाक हो सकता है।

कानून के अनुसार, किसी जलाशय को आवासीय भूमि में बदला नहीं जा सकता। लेकिन राज्य में कई जगहों पर इस नियम का उल्लंघन किया गया है। राज्य सरकार ने भूमि एवं भूमि सुधार विभाग के अधिकारियों पर आरोप लगाया है कि वे धन लेकर जमीन के दस्तावेजों में हेरफेर कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी इस मामले में कई बार चेतावनी दे चुकी हैं और हाल ही में राज्य सरकार ने बड़ी संख्या में भूमि सुधार अधिकारियों का तबादला किया है।

हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर

   

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