स्नातक होना सीखने का अंत नहीं बल्कि जीवन के एक नए चरण की शुरुआत : डॉ. वी.के. सारस्वत
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- Dec 12, 2025


— बीएचयू के 105वें दीक्षांत समारोह में मुख्य मंच से 29 टॉपर्स को दिया गया गोल्ड मेडल
—समारोह में नीति आयोग के सदस्य ने दिया दीक्षांत भाषण
वाराणसी, 12 दिसंबर (हि.स.)। नीति आयोग के सदस्य, जेएनयू के कुलाधिपति और रक्षा वैज्ञानिक प्रो. वीके सारस्वत ने ‘नए युग’ में विद्यार्थियों को परिवर्तन लाने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में आपके निर्णय न केवल आपकी व्यक्तिगत यात्रा को आकार देंगे, बल्कि राष्ट्र की दिशा भी तय करेंगे। प्रो. वीके सारस्वत शुक्रवार को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के 105वें दीक्षांत समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
परिसर स्थित स्वतंत्रता भवन सभागार में आयोजित दीक्षांत समारोह में प्रो. वीके सारस्वत ने कुलपति प्रो.अजित कुमार चतुर्वेदी के साथ दो मेधावियों अनुराधा द्विवेदी और तुहीन को चांसलर और महाराजा विभूति नारायण गोल्ड मेडल सहित 29 टॉपर्स को बीएचयू गोल्ड मेडल प्रदान किया। इस अवसर पर नीति आयोग सदस्य डॉ सारस्वत ने विद्यार्थियों से कहा कि उनका स्नातक होना सीखने का अंत नहीं बल्कि जीवन के एक नए चरण की शुरुआत है। यहां बीएचयू में आपकी यात्रा ने आपको बौद्धिक उपकरणों और नैतिक मूल्यों से लैस किया है, जो वास्तविक दुनिया में आपका मार्गदर्शन करेंगे और जिनका महत्व आप समय के साथ और गहराई से समझेंगे। आने वाले वर्ष केवल शैक्षणिक तैयारी ही नहीं, बल्कि ज्ञान को सार्थक क्रिया में बदलने की क्षमता भी माँगेंगे। चुनौतियों का सामना करने के लिए तकनीकी कौशल, डिज़ाइन थिंकिंग की कार्यप्रणाली और सामाजिक आवश्यकताओं की समझ- इन सबका समन्वय आवश्यक होगा। स्वतंत्रता आंदोलन, राष्ट्र निर्माण तथा देश की प्रगति में बीएचयू के विद्वानों, वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों के योगदान का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि बीएचयू की यही महान विरासत आज उपाधि प्राप्त कर रहे विद्यार्थियों की सफलता की आधारशिला है। तेजी से बदलती दुनिया में नवाचार के महत्व का उल्लेख कर डॉ. सारस्वत ने कहा कि नवाचार केवल तकनीक नहीं, बल्कि दुनिया को अलग नज़रिये से देखने का नाम है।
डिज़ाइन थिंकिंग के संदर्भ में उन्होंने शिक्षकों से कहा कि वे इसे अपनी कक्षाओं में शामिल करें, ताकि विद्यार्थी इस दृष्टिकोण का उपयोग समाज और देश के व्यापक हित में कर सकें। उन्होंने भारतीय विज्ञान कांग्रेस में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के एक संबोधन का उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने ज्ञान को राष्ट्र-परिवर्तन का साधन बनाने की बात कही थी। डॉ. सारस्वत ने कहा कि शैक्षणिक, शोध और संस्थागत उत्कृष्टता के क्षेत्र में जो प्रगति बीएचयू ने की है, वह सराहनीय है, और बीएचयू में इस परिवर्तन की शुरूआत हो चुकी है। उन्होंने कहा कि आज उपाधि प्राप्त कर रहे विद्यार्थी ऐसे दौर में प्रवेश कर रहे हैं, जब भारत विश्व में अपनी भूमिका को नए सिरे से परिभाषित कर रहा है। डॉ. सारस्वत ने उपाधि प्राप्त विद्यार्थियों से अपील की कि वे अपनी सांस्कृतिक जड़ों के प्रति सजग रहें और उन ज्ञान परंपराओं से शक्ति लें, जिन्होंने हमारी सभ्यता की यात्रा को दिशा दी है।
समारोह में उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को शुभकामनाएं देते हुए कुलपति प्रो. अजित कुमार चतुर्वेदी ने कहा कि वर्ष 2024–25 विश्वविद्यालय के लिए महत्वपूर्ण प्रगति और उपलब्धियों का रहा है। विश्वविद्यालय के संस्थापक महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की दृष्टि से प्रेरित होकर, विश्वविद्यालय निरंतर अपनी गौरवशाली परंपरा—विद्वत्ता, अनुसंधान और राष्ट्र निर्माण में योगदान को कायम रखे हुए है। विभिन्न क्षेत्रों में विश्वविद्यालय की प्रगति का विवरण प्रस्तुत कर कुलपति ने इस बात पर जोर दिया कि बीएचयू समाज पर सकारात्मक प्रभाव रखने वाले नवाचार और अनुसंधान पर निरंतर ज़ोर दे रहा है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2024–25 में 115 विशिष्ट संकाय सदस्य विश्वविद्यालय से जुड़े, जो अपने साथ वैश्विक अनुभव, शैक्षणिक व अनुसंधान उत्कृष्टता, और शिक्षण के प्रति प्रतिबद्धता लेकर आए हैं। विश्वविद्यालय की अनुसंधान क्षमता 4,980 से अधिक शोध प्रकाशनों में परिलक्षित होती है, जिन्हें कुल मिलाकर एक लाख से अधिक उद्धरण प्राप्त हुए हैं, तथा विश्वविद्यालय का एच-इंडेक्स 268 है। इसके अतिरिक्त 33 नए पेटेंट दाखिल किए गए और 18 पेटेंट प्राप्त हुए । समारोह में स्वागत भाषण कुलगुरू प्रो. संजय कुमार और धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव प्रो. अरुण कुमार सिंह ने किया।
——विभिन्न संकायों में उपाधि वितरण कार्यक्रम
बीएचयू के स्वतंत्रता भवन में मुख्य दीक्षांत समारोह के उपरांत, विभिन्न संस्थानों और संकायों के उपाधि वितरण कार्यक्रम आरंभ हुए। उपाधि वितरण समारोह 13 दिसंबर तक जारी रहेंगे। 2025 के दीक्षांत समारोह में कुल 13,650 उपाधियाँ प्रदान की जा रही हैं। इनमें 7,449 स्नातक उपाधियाँ, 5,484 स्नातकोत्तर उपाधियाँ, 712 पीएचडी उपाधियाँ, 4 एम.फिल उपाधियाँ और 1 डॉक्टर ऑफ साइंस उपाधि शामिल हैं, साथ ही कुल 556 मेडल विभिन्न संस्थानों और संकायों में प्रदान किए जा रहे हैं। मुख्य समारोह में कुल 29 टॉपरों को 33 स्वर्ण पदक प्रदान किए गए।
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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी



