जैसलमेर, 17 जनवरी (हि.स.)। जैसलमेर में कुरजां (डेमोइसेल क्रेन) पक्षियों के मरने का सिलसिला जारी है। शुक्रवार सुबह उड़ते हुए कुरजां अचानक से एक खेत में गिर गई और थोड़ी देर में ही 14 पक्षियों ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया।
पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डाॅ उमेश व्रगतिवार ने बताया कि सबसे पहले देगराय ओरण इलाके में 14 कुरजां पक्षी मृत मिले थे। यहां 11 जनवरी को छह, 12 जनवरी को दाे कुरजां के शव मिले थे। इसके बाद 13 जनवरी को दाे, 15 जनवरी को तीन और 16 जनवरी को एक कुरजां का शव मिला था। 17 जनवरी को मोहनगढ़ के बांकलसर गांव में एक साथ 14 कुरजां के शव मिले हैं। अब तक 28 कुरजां की मौत हो चुकी है।
जिले में इन दिनों कुरजां में बर्ड फ्लू फैला हुआ है। भोपाल से आई रिपोर्ट में बर्ड फ्लू की पुष्टि होने के बाद वन और पशुपालन विभाग की टीम अलर्ट होकर काम कर रही है। कुरजां की हो रही लगातार मौतों के बाद लोगों में इस बीमारी को लेकर दहशत फैल गई है।
भोपाल के राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशुरोग संस्थान (निषाद) की रिपोर्ट में लुनेरी तालाब में डेमोइसेल क्रेन के शवों में एच5एन1 एवियन फ्लू की पुष्टि की है। इसके बाद क्यूआरटी के साथ ही पशु अस्पताल, चिकित्सा विभाग, वन विभाग और राजस्व विभाग के फील्ड के अधिकारियों को पूरी तरह से चौकस कर दिया गया है। सबसे पहले दिसंबर में फलोदी के पास स्थित खींचन में प्रवासी पक्षियों की मौत हुई थी।
पशुपालन विभाग के डॉ. उमेश ने बताया कि इस बीमारी में निमोनिया या कोरोना के जैसे ही लक्षण होते हैं। इलाज नहीं मिलने पर पक्षी की मौत हो जाती है। ये एक संक्रमण है, जो एक से दूसरे में जल्दी से फैलता है। पशुओं में भी ये संक्रमण फैल सकता है, जिससे उसकी जान जा सकती है। ऐसे में बचाव करना ही इलाज है। अगर किसी को हो जाए तो उसको प्रॉपर इलाज करवा कर मुक्त किया जा सकता है।
बर्ड फ्लू के इंसानों में भी फैलने के खतरे को लेकर प्रशासन की ओर से जहां भी मृत पक्षी मिले हैं, उसके बाद इंसानों को उस तरफ नहीं जाने के निर्देश दिए हैं। साथ ही फिलहाल जहां मृत पक्षी मिले हैं, उन तालाबों के पानी का उपयोग नहीं करने को कहा गया है।
पर्यावरण प्रेमी सुमेर सिंह भाटी ने बताया कि चीन, कजाकिस्तान, मंगोलिया आदि देशों में सितंबर में बर्फबारी शुरू हो जाती है। ऐसे में कुरजां पक्षी के लिए सर्दियों का वो मौसम अनुकूल नहीं होता। कड़ाके की ठंड में खुद को बचाए रखने के लिए हजारों किलोमीटर का सफर तय करके ये कुरजां पश्चिमी राजस्थान का रुख करती है।
जिले के लाठी, खेतोलाई, डेलासर, धोलिया, लोहटा, चाचा, देगराय ओरण सहित अन्य जगहों पर कुरजां ही कुरजां नजर आ रही है।
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हिन्दुस्थान समाचार / रोहित