रामगंगा नदी में  छोड़े गए 212 कछुए

शाहजहांपुर, 24 जनवरी (हि.स.)। डब्ल्यू डब्ल्यू एफ इंडिया द्वारा शुक्रवार को विकास खण्ड जलालाबाद में रामगंगा नदी तट स्थित गोरा घाट पर कछुआ विमोचन कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस दौरान नदी में 212 कछुओं को छोड़ा गया और कछुओं के संरक्ष्ण का संकल्प किया गया।

कार्यक्रम का शुभारम्भ प्रभागीय वनाधिकारी वन एवं वन्य जीव प्रभाग नवीन खण्डेलवाल ने बचाये गये कछुओं को रामगंगा नदी में छोड़ कर किया। उन्होंने ग्रामीणों को संबाेधित करते हुए नदी की स्वच्छता में कछुओं के महत्व पर प्रकाश डाला और ग्रामीणों से इस कार्यक्रम में जुड़ने की अपील की। भविष्य में कछुआ संरक्षण कार्यक्रम के अन्तर्गत कछुओं के अंडों को और अधिक संख्या में संरक्षित करने की योजना है।

डब्ल्यूू डब्ल्यू एफ के लीड जलीय जैव विविधता संजीव यादव ने जनपद में पाये जाने वाली कछुओं की मुख्य प्रजाति बटागुर ढोंगोका व पंगशुरा टेंटोरिया के बारे में बताया और वन विभाग की मदद से कछुओं के अंडों को संरक्षित कर सुरक्षित हैचरी तक पहुंचाने की जानकारी दी। समन्वयक डॉक्टर मोहम्मद आलम ने कछुओं से जुड़े विभिन्न वैज्ञानिक तथ्यों पर प्रकाश डालते हुए कछुओं को नदी के पारिस्थितकीय तंत्र का अहम हिस्सा बताया।

गौरतलब हो विगत कई वर्षों से जनपद में वन विभाग के सहयोग से डब्ल्यू डब्ल्यू एफ इण्डिया द्वारा समुदाय आधारित कछुआ संरक्षण कार्यक्रम चलाया जा रहा है जिसमें किसानों के सहयोग से उनके खेतों में मिलने वाले कछुओं के अंडों को बचाकर हैचरी में संरक्षित किया जाता है जिसके बाद इनसे निकलने वाले कछुओं के बच्चों को नर्सरी में स्थानान्तरित कर इनकी देखभाल की जाती है और फिर कुछ समय बाद इनको पुनः इनके प्राकृतिक आवास नदी में छोड़ दिया जाता है।

हिन्दुस्थान समाचार / अमित कुमार शर्मा

   

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