दुष्कर्म पीड़िता के 26 माह के गर्भपात की हाई कोर्ट ने दी मंजूरी

अहमदाबाद, 10 अप्रैल (हि.स.)। गुजरात हाई कोर्ट ने 14 वर्षीय दुष्कर्म पीड़िता के साढ़े 6 महीने के गर्भपात की मंजूरी दी है। कोर्ट ने चीफ मेडिकल ऑफिसर की देखरेख में नाबालिग का गर्भपात कराने का निर्देश दिया है।

वलसाड की 14 वर्षीय दुष्कर्म पीड़िता के पिता ने अपनी नाबालिग बेटी के गर्भपात की मंजूरी हाई कोर्ट से मांगी थी। नाबालिग के साथ दुष्कर्म और पाक्सो एक्ट के तहत वांसदा पुलिस थाने में इस साल शिकायत दर्ज कराई गई थी। नाबालिग का 26 सप्ताह का गर्भ है। हाई कोर्ट ने वापी की जीएमईआरएस हॉस्पिटल में नाबालिग की मेडिकल जांच का आदेश दिया था। जांच में रिपोर्ट स्पष्ट नहीं आने पर हाई कोर्ट ने दोबारा मेडिकल जांच का आदेश दिया था। बाद में हाई कोर्ट ने चीफ मेडिकल ऑफिसर की देखरेख में नाबालिग के गर्भपात की मंजूरी दी है। गर्भपात के लिए डॉक्टरों की एक्सपर्ट टीम को भी उपस्थित रहने का निर्देश दिया है। साथ ही चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉक्टर के भी मौजूद रहने को कहा गया है। गर्भपात के बाद नाबालिग की देखरेख समेत इलाज की व्यवस्था भी की जाएगी। गर्भ का डीएनए सैम्पल भी केस के सबूत के तौर पर एफएसएल में भेजा जाएगा।

यह है नियम-

मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) के तहत किसी भी विवाहिता, दुष्कर्म पीड़िता, अलग-अलग विकलांग महिला या नाबालिग किशोरी की 24 सप्ताह तक की गर्भावस्था के गर्भपात की छूट है। यदि प्रेग्नेंसी 24 सप्ताह से अधिक होगी तो मेडिकल बोर्ड की सलाह पर कोर्ट से गर्भपात की मंजूरी लेनी पड़ेगी। वर्ष 2020 में एमटीपी एक्ट में बदलाव किया गया था। गुजरात में पिछले 2 साल में 10 नाबालिग के गर्भपात की मंजूरी कोर्ट ने दी है।

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हिन्दुस्थान समाचार / बिनोद पाण्डेय

   

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