उपलब्धियां और सिद्धियां सर्वजन कल्याण के लिए उपयोगी बने : राज्यपाल
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- Apr 07, 2025

•राज्यपाल आचार्य देवव्रत की अध्यक्षता में वीर नर्मद यूनिवर्सिटी का 56वां दीक्षांत समारोह आयोजित
•12 विभागों के 79 पाठ्यक्रमों के 10,415 विद्यार्थियों को मिली डिग्री
सूरत, 7 अप्रैल (हि.स.)। राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने सोमवार को वीर नर्मद दक्षिण गुजरात युनिवर्सिटी के 56वें दीक्षांत समारोह में आह्वान किया कि जिन विद्यार्थियों ने कॉलेज शिक्षण द्वारा जो ज्ञान प्राप्त किया है, वह मात्र स्व-उत्कर्ष के लिए नहीं बल्कि लोक कल्याण और राष्ट्रनिर्माण के लिए उपयोग में लें। उन्होंने कहा कि ईमानदारी और मेहनत कभी व्यर्थ नहीं जाते। राज्यपाल ने विद्यार्थियों से काजीवन विद्यार्थी बने रहने और प्रमाणिकता-ज्ञानोपार्जन को जीवन के साथ बुन लेने की सीख दी।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, तकनीकी एवं उच्च शिक्षा मंत्री ऋषिकेश पटेल और शिक्षा राज्यमंत्री प्रफुल पानसेरिया की विशेष उपस्थिति में यूनिवर्सिटी के कन्वेंशन हॉल में आयोजित समारोह में राज्यपाल और महानुभावों के हाथों 12 विभागों के 79 पाठ्यक्रमों के 10,415 छात्र-छात्राओं को मेडल्स और डिग्रियां प्रदान की गईं। इसके साथ ही, 44 पीएच.डी. तथा 1 एम.फिल. की डिग्री भी अर्पण की गई। समारोह की विशेषता यह रही कि सूरत की सूर्यपुर संस्कृत पाठशाला के 11 ऋषिकुमारों ने शंखनाद और दस भुदेवों ने वैदिक मंत्रोच्चार, शंखनाद और तैत्तरीय उपनिषद के श्लोकगान के साथ भारतीय संस्कृति की प्राचीन गुरुकुल परम्परा को उजागर किया।
इस अवसर पर राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि भारत की प्राचीन गुरुकुल परम्परा में भी ऋषि-मुनियों ने अपने शिष्यों को शिक्षा-दीक्षा अर्पण कर अंत में 'सत्यं वद धर्मं चर स्वाध्यायान्मा प्रमदः' सत्य बोलना, धर्म का आचरण करना और अभ्यास में आलस नहीं करना आदि उपदेश दिया करते थे। उन्होंने डिग्री ग्रहण करने वाले विद्यार्थियों को स्वाध्याय में- ज्ञान उपार्जन में कभी आलस नहीं करने को कहा। राष्ट्रनिर्माण भौतिक सुविधाओं से नहीं बल्कि वीर माताओं के सतीत्व और उनके प्रतापी पुत्रों के संस्कारों और समर्पण से होता है। इसका उल्लेख करते हुए राज्यपालश्री आचार्य देवव्रतजी ने कहा कि सुशिक्षित होना पर्याप्त नहीं है। गुणवान और सुसंस्कृत होना भी जरूरी है। हमें मूल्यनिष्ठ, सभ्य समाज के प्रति जवाबदेह होना चाहिए। राष्ट्र के निर्माण के लिए सुसंस्कारित बनना समय की मांग है। उपलब्धियां और सिद्धियां सर्वजन कल्याण के लिए उपयोगी बने, ऐसे सामूहिक प्रयास करें। यह सीख देते हुए राज्यपालश्री ने कहा कि ‘मातृदेवो भव:, पितृदेवों भव:, आचार्य देवोभव: और अतिथि देवोभव:’ के हमारे संस्कृति भाव को हृदय में उतारना चाहिए। विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि जीवन के अमूल्य वर्षों में अध्ययन के पश्चात आपको अपने करियर निर्माण हेतू विशाल और स्वतंत्र मंच पर कठोर परिश्रम, कुशलता और सामर्थ्य के साथ उज्ज्वल भविष्य का निर्माण करना है। ज्ञान प्राप्ति के बाद अब ऐसा जीवन आकार दें कि आने वाली पीढ़ियां आपसे प्रेरणा लें। राज्यपालश्री ने सभी डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं भी दीं।
स्वास्थ्य, तकनीकी और उच्च शिक्षा मंत्री ऋषिकेश पटेल ने कहा कि केवल धन कमाने की अपेक्षा नहीं होनी चाहिए, बल्कि प्राप्त ज्ञान का उपयोग समाज, राज्य और देश के कल्याण हेतु सार्थक रूप से किया जाना चाहिए। युवाओं को देश की प्रगति की दिशा तय करनी है, क्योंकि देश की उन्नति और समृद्धि की बागडोर युवाओं के हाथ में है। नर्मदा विश्वविद्यालय भारतीय संस्कृति और आर्य मूल्यों को पुनः स्थापित करने का कार्य कर रही है, यह बताते हुए उन्होंने संपूर्ण विश्वविद्यालय प्रशासन को बधाई दी। उन्होंने कहा कि एआई और आधुनिक तकनीक के युग में विकास का मार्ग खुला है, लेकिन साथ ही तकनीक के दुष्प्रभाव भी व्यापक तौर पर हो रहे हैं। ऐसे समय में युवाओं को चाहिए कि वह तकनीक का विवेकपूर्ण उपयोग करें, हमारे प्राचीन मूल्यों को न छोड़ें और ज़मीन से जुड़े रहकर अवसरों का उपयोग उज्ज्वल भविष्य निर्माण में करें।
राज्य के शिक्षा राज्यमंत्री प्रफुल पानसेरिया ने कहा कि शिक्षा केवल व्यक्तिगत करियर के लिए नहीं होती, उसमें मानव कल्याण और राष्ट्रहित की भावना भी निहित होती है। ज्ञान के प्रकाश से समाज का कल्याण और उन्नति हो, ऐसी भावना विकसित करना आवश्यक है। विद्यार्थियों को एक ही क्षेत्र में न रुकते हुए मल्टी-टैलेंटेड बनकर बहुआयामी व्यक्तित्व उभारने पर ज़ोर देना चाहिए।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. के.एन. चावड़ा ने कहा कि नर्मदा विश्वविद्यालय ने शिक्षा और पारदर्शी प्रबंधन से अपनी अलग पहचान बनाई है। इस विशाल वटवृक्ष जैसे विश्वविद्यालय ने एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट आईडी निर्माण में और सबसे अधिक क्रेडिट प्राप्त करने में देशभर में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। पीएम उषा योजना के तहत विश्वविद्यालय को प्राप्त 100 करोड़ रुपए की ग्रांट में से 60 करोड़ रुपए की बहुआयामी शिक्षा विकास की परियोजनाएं प्रगति में हैं। इस अवसर पर कुलसचिव आर.सी. गढ़वी, परीक्षा नियंत्रक ए.वी. धडूक, विभागाध्यक्ष, विश्वविद्यालय के अधिकारीगण, कॉलेजों के प्राचार्य एवं डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थी उपस्थित थे।
डिजीलॉकर में सभी 10,415 डिग्रियां डिजिटल रूप से उपलब्ध होंगी
55वें दीक्षांत समारोह में प्रदान की गई सभी 10,415 डिग्रियां विद्यार्थियों के डिजीलॉकर में उपलब्ध होंगी, जिन्हें विद्यार्थी अपने लॉगिन आईडी से एक्सीस कर सकेंगे। राज्यपालश्री ने रिमोट के माध्यम से सभी डिग्रियों को नेशनल एकेडमिक डिपॉजिटरी में डिजिटल माध्यम से जमा किया।
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हिन्दुस्थान समाचार / बिनोद पाण्डेय