85वां श्री प्रेमभाया महोत्सव 21 से, देश-प्रदेश के गायक देंगे हाजिरी

जयपुर, 17 मार्च (हि.स.)। चारदीवारी में शीतलाष्टमी से ढूंढाड़ी विरासत साकार होगी। अवसर होगा श्री प्रेमभाया मंडल समिति का श्री प्रेमभाया महोत्सव। जो कि 21 से 23 मार्च तक पुरानी बस्ती जयलाल मुंशी का रास्ता स्थित युगल कुटीर पर भक्तिभाव से मनया जाएगा। इसकी तैयारियां जोरशोर से चल रही है। जय लाल मुंशी का रास्ते के हर घर में उत्सव को लेकर उमंग और जोश का माहौल है। श्री प्रेमभाया मंडल समिति के प्रवक्ता लोकेश शर्मा ने बताया कि लगातार 72 घंटे के अखंड संगीत समारोह में 50 से ज्यादा गायक, कलाकार और भक्त मंडलियां प्रेमभाया सरकार का गुणगान करेंगी। देश-प्रदेश ही नहीं विदेश से संगीतकार, गायक और वादक इस तीन दिवसीय पारपंरिक उत्सव में हाजिरी लगाएंगे। लगातार 72 घंटे में 250 ज्यादा ढूंढ़ाड़ी भजनों की प्रस्तुतियां दीं जाएंगी। श्री प्रेम भाया महोत्सव के आखिरी दिन 23 मार्च की शाम को प्रेमभाया को नगर भ्रमण करया जाएगा। भक्त रातभर भजन गाते चारदीवार कीपरिक्रमा करते हुए तडक़े ब्रह्म मुहूर्त में युगल कुटीर पहुंचेंगे।

पंचामृत अभिषेक से होगा श्रीगणेश:

पहले दिन 21 मार्च को दोपहर एक बजे श्री प्रेमभाया सरकार का वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पंचामृत अभिषेक कर नवीन पोषाक धारण कराई जाएगी। इसी दिन रात्रि आठ बजे से गणेश वंदना के साथ भक्ति संगीत समारोह शुरू होगा। 22-23 मार्च को दिन में महिला मंडलों की ओर से भक्ति संगीत का कार्यक्रम होगा। 23 मार्च को शाम 7 बजे संकीर्तन के साथ प्रेमभाया का नगर संकीर्तन शुरू होगा। जो जयलाल मुंशी का रास्ता के सत्संग स्थल से प्रारंभ होकर शहर के विभिन्न मार्ग से होते हुए 24 मार्च को सुबह 7 बजे वापस पुरानी बस्ती के युगल कुटीर पहुंचकर संपन्न होगा।

ठाकुरजी को प्रतिदिन सुनाते थे भजन:

श्री प्रेमभाया मंडल समिति के अध्यक्ष विजय किशोर शर्मा ने बताया कि कृष्ण भक्ति के आदर्श संवाहक भक्त कवि. पं. युगल किशोर शास्त्री ने पुरानी बस्ती के जय लाल मुंशी का रास्ता के होली टीबा स्थित युगल कुटीर में राजवैद्य पं. गणेश नारायणजी के यहां वर्ष 1916 में वैशाख शाख द्वादशी को जन्म लिया। संस्कूत एवं आयुर्वेद विद्वान युगल किशोर ने अपनी जन्मभूमि, जयपुर नगरी में आजादी के कालखंड में समाज को संगठित एवं संकलित करने के लिए भक्ति रस मार्ग की सलिला बहाई। भक्त युगल ने आयुर्वेदाचार्य की शिक्षा प्राप्त की। भगवान श्री$कृष्ण के अनन्य उपासक पं. युगल ने अपने आराध्य को जयपुर की ढूंढ़ाड़ी भाषा में श्री प्रेमभाया सरकार नाम देकर 1940 में बाल स्वरूप को चित्तमय उतारकर निश्चल प्रेम की जन-चेतना प्रज्वलित की। वे प्रतिदिन ठाकुर जी को ढूंढ़ाड़ी भाषा में स्वरचित रचना सुनाते थे। मात्र 34 वर्ष की आयु में वे जल समाधि को प्राप्त होकर प्रेमभाया में ही लीन हो गए।

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हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश

   

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