भगत को भक्ति का केवल एक मार्ग पकड़ कर चलना चाहिए: पूज्यश्री प्रेमभूषण जी महाराज

भगत को भक्ति का केवल एक मार्ग पकड़ कर चलना चाहिए - पूज्यश्री प्रेमभूषण जी महाराजभगत को भक्ति का केवल एक मार्ग पकड़ कर चलना चाहिए - पूज्यश्री प्रेमभूषण जी महाराजभगत को भक्ति का केवल एक मार्ग पकड़ कर चलना चाहिए - पूज्यश्री प्रेमभूषण जी महाराजभगत को भक्ति का केवल एक मार्ग पकड़ कर चलना चाहिए - पूज्यश्री प्रेमभूषण जी महाराजभगत को भक्ति का केवल एक मार्ग पकड़ कर चलना चाहिए - पूज्यश्री प्रेमभूषण जी महाराजकिसी का भी अहित सोचने वाला कभी भगत नहीं हो सकता - पूज्य प्रेमभूषण जी महाराज

जौनपुर,16 नवंबर (हि.स.)। भगवान और भगत के बीच भक्ति का ही एकमात्र नाता होता है। नौ प्रकार के भक्ति की चर्चा नवधा भक्ति के प्रसंग में वर्णित है। इसमें से कोई भी एक भक्ति पथ को पकड़ कर के मनुष्य अपना जीवन सँवार सकता है। भगत को बहुत प्रकार नहीं केवल भक्ति के एक पथ का चुनाव समय रहते कर लेना चाहिए। भगवान और सत्कर्मों में जिसकी जितनी श्रद्धा होती है, उतना ही हमारा कल्याण भी होता है। उक्त बातें जौनपुर के बीआरपी इंटर कॉलेज मैदान में चल रही श्री राम कथा करते हुए पूज्य प्रेमभूषण जी महाराज ने शनिवार को व्यासपीठ से पूर्णाहुति सत्र की कथा का करते हुए कहीं।

सरस् श्रीराम कथा गायन के लिए लोक ख्याति प्राप्त प्रेममूर्ति पूज्य प्रेमभूषण जी महाराज ने सुप्रसिद्ध समाजसेवी ज्ञान प्रकाश सिंह के पावन संकल्प से आयोजित सप्त दिवसीय रामकथा के पूर्णाहुति सत्र में व्यासपीठ से कहा कि मनुष्य का मूल कार्य है सत्कर्म में लगे रहना, लेकिन अधिकांश लोग तो मूल को ही भूल कर बैठ जाते हैं। मनुष्य को संसार की चर्चा और चिंता करने से पहले स्वयं के बारे में विचार करने की आवश्यकता है। हमें अपने स्वयं के लिए भगवान के आश्रय में ले जाने की आवश्यकता होती है किसी और के लिए नहीं। भक्ति पथ पर बने रहने के लिए ही निरंतर भगवान की कथा का श्रवण करना आवश्यक है। केवल जगदीश में रमने से ही कल्याण होगा।

पूज्य श्री ने कहा कि अपने घर में अगर हम भाव के साथ भगवान की सेवा करें तो भगवान खाते भी हैं, नहाते भी हैं, सोते भी हैं और मनुष्य जो भी उत्तम व्यवहार करता है, वह सब करते हैं। समस्या यह है कि सामान्य मनुष्य ने भगवान की जीव भाव रख कर उनकी सेवा कभी की ही नहीं। हमारे घर में जो भगवान हैं या हमारे साथ जो भगवान चलते हैं। सुबह स्नान करते हैं, जलपान करते हैं और वह भोग भी लगाते हैं और वही प्रसाद हम पाते हैं। आम आदमी जो कुछ भी सात्विक भोजन करता है, हमारे भगवान वही पाते हैं। पूज्यश्री ने कहा कि आश्चर्य तो तब होता है जब भगवान को लोग एक छोटी सी कटोरी में मिश्री के चार दाने भोग लगा देते हैं और खुद तरह-तरह के पकवान खाते रहते हैं। यही नहीं कुछ लोग तो भगवान को अपनी अटैची में बंद करके कहीं यात्रा पर लेकर जाते हैं। क्या अब आप अपने घर के किसी बच्चे को अटैची में बंद करके कहीं यात्रा पर लेकर जाएंगे?

महाराज श्री ने बताया कि हमारे सनातन सदग्रंथों में यह स्पष्ट बताया गया है कि हर वस्तु की अंतिम इच्छा अपने उद्गम में ही समाहित होने की होती है। जिस प्रकार धरती पर कहीं भी जल हो उसकी इच्छा नदियों के माध्यम से जाकर समुद्र में ही समाहित होना होता है। इसी प्रकार ईश्वर का अंश, हर जीव पुनः ईश्वर में ही समाहित होने के लिए ही प्रयासरत होता है। यही उसका अंतिम लक्ष्य होता है। यह अलग बात है कि अपने लक्ष्य के बारे में जानने वाले लोग बहुत कम होते हैं। लक्ष्य को जानने और पाने में कई जन्म बीत जाते हैं।

पूज्य महाराज श्री ने बताया कि सबसे बड़ी समस्या यह है कि व्यक्ति अपने शरीर को ही स्वयं की उपस्थिति मान लेता है। जबकि वास्तविकता यह है कि शरीर तो एक माध्यम है, उस आत्मा का जो परमात्मा से यह कह कर धरती पर आता है कि हम आप का ही गुणगान करते हुए आपके चरणों तक पहुंचने का प्रयास करेंगे।

पूज्य महाराज श्री ने कहा कि अगर सामान्य मनुष्य को भगवान तक पहुंचने की यात्रा करनी है तो सबसे पहले उन्हें सदगुरु के आश्रय में जाने की आवश्यकता है । भगवान की अति कृपा के बिना धाम में किसी मनुष्य का पहुंचना भी संभव नहीं हो पाता है। गृहस्थ जीवन में रहने वाले लोगों को अपने सारे कार्य करते हुए साल में एक दो बार किसी न किसी धाम में पहुंचने का प्रयास अवश्य करना चाहिए। दक्षिण भारत के लोग, गुजरात और महाराष्ट्र के लोग तो तीर्थाटन करते रहते हैं लेकिन उत्तर प्रदेश के लोगों को इसके लिए समय ही नहीं।

पूर्णाहुति सत्र में भगवान श्री राम के राज्याभिषेक महोत्सव की झांकी अद्भुत सजाई गई थी। हजारों की संख्या में उपस्थित लोगों ने खूब बधाइयां गाई और नृत्य किए।

इस आयोजन के मुख्य यजमान ज्ञान प्रकाश सिंह जी ने सपरिवार व्यास पीठ का पूजन किया और भगवान की आरती उतारी।इस दौरान जनपद के तमाम अधिकारी राज नेता समाज सेवी और खुद जिलाधिकारी डा दिनेश चंद्र सिंह ने सपरिवार पहुंचकर भगवान की आरती कर कथा श्रवण किया ।

हिन्दुस्थान समाचार / विश्व प्रकाश श्रीवास्तव

   

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