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गुवाहाटी, 03 मार्च (हि.स.)। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) और सीमांत चेतना मंच पूर्वोत्तर के तत्वावधान में आयोजित सीमा दर्शन यात्रा का समापन हो गया। इस यात्रा में कुल 139 कार्यकर्ताओं ने भाग लिया, जिनमें 32 छात्राएं भी शामिल थीं। प्रतिभागियों ने सीमावर्ती जिलों के गांवों में पहुंचकर वहां की परिस्थितियों का अध्ययन किया और अनुभव अर्जित किया।
समापन अवसर पर आज गुवाहाटी में एक अनुभव-साझाकरण कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें भारतीय सेना के पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल राणा प्रताप कलिता विशेष रूप से उपस्थित रहे। उनके साथ अभाविप असम प्रांत के प्रदेश सचिव हेरोल्ड महन सहित कई विशिष्ट अतिथि मौजूद थे।
यात्रा के दौरान छात्रों को 15 दलों में विभाजित किया गया था। इनमें से तीन दल धुबड़ी, तीन श्रीभूमि, दो कछार, दो उदालगुड़ी और अन्य दल दक्षिण सालमारा, बाक्सा, तामुलपुर, चिरांग और कोकराझाड़ गए। सभी प्रतिभागियों ने सीमावर्ती गांवों में स्थानीय परिवारों के साथ रहकर वहां की जमीनी हकीकत को जाना।
विद्यार्थी परिषद के राज्य सचिव और 'खुदीराम बोस दल' के संयोजक ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि सीमावर्ती गांवों की स्थिति चिंताजनक है। अब भी इन क्षेत्रों में सड़क, बिजली, पानी, नेटवर्क और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी बनी हुई है। उन्होंने कहा कि सीमा सुरक्षा की जिम्मेदारी केवल सेना की नहीं है, बल्कि इसमें स्थानीय नागरिकों और विशेष रूप से छात्रों एवं युवाओं की भी अहम भूमिका होनी चाहिए।
इस यात्रा के दौरान छात्र-छात्राओं ने बीएसएफ और एसएसबी जवानों से भी मुलाकात कर सीमा सुरक्षा से जुड़ी चुनौतियों को समझने का प्रयास किया।
हिन्दुस्थान समाचार / श्रीप्रकाश