जयपुर, 27 अक्टूबर (हि.स.)। जगद्गुरु निंबार्कार्काचार्य महाराज के आदेशानुसार दीपावली पर्व 1 नवंबर को मनाई जाएगी। महाराज ने बताया कि आप लोग भ्रमित नहीं हो दीपावली पर्व 1 नवंबर को ही मनाई जाएगी। उन्होने बताया कि अमावस्या पर पितरों की पूजा करते है। पितरों की पूजा प्रातः 11 से 12 बजे तक ही कर लेनी चाहिए,क्योंकि 31 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 52 बजे तक चतुर्दशी है। पितरों की पूजा 1 नवंबर को प्रातः काल करने के पश्चात ही देव पूजा यानी दीपावली पर लक्ष्मी जी की पूजा करना शास्त्र सम्मत है। निर्णय सिंधु ग्रंथ में स्पष्ट उल्लेखित है कि चतुर्दशी मिश्रित अमावस्या को दीपावली पूजन करना शुभ नहीं माना गया है। प्रतिपदा मिश्रित अमावस्या को दीपावली मनाना ,लक्ष्मी पूजन करना श्रेष्ठ माना गया है। अतः 1 नवंबर को प्रातः काल से रात्रि सिंह लग्न तक सभी मुहूर्त श्रेष्ठ हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश