अरुणाचल प्रदेश हथकरघा और हस्तशिल्प नीति-2025 का औपचारिक रूप से शुभारंभ

इटानगर, 07 अगस्त(हि.स.)। अरुणाचल प्रदेश हथकरघा और हस्तशिल्प नीति-2025 का आज तेजू स्थित अमिक रिन्या हॉल में औपचारिक रूप से शुभारंभ किया गया, जो राज्य की समृद्ध आदिवासी विरासत को संरक्षित करते हुए बुनकरों और कारीगरों को सशक्त बनाने के प्रयासों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।

यह नीति 11वें राष्ट्रीय हथकरघा दिवस समारोह के एक हिस्से के रूप में शुरू की गई, जिसका आयोजन अरुणाचल प्रदेश सरकार के वस्त्र एवं हस्तशिल्प विभाग ने भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय के विकास आयुक्त (हथकरघा) के सहयोग से किया है।

नई नीति हथकरघा और हस्तशिल्प क्षेत्र की दीर्घकालिक चुनौतियों का समाधान करने और इसकी अपार आर्थिक एवं सांस्कृतिक क्षमता को उजागर करने के लिए एक व्यापक ढांचा प्रदान करती है। नीति के कुछ प्रमुख घटकों में बुनकरों और कारीगरों का डेटाबेस तैयार करना, कच्चे माल और औजार बैंकों की स्थापना, ऋण तक बेहतर पहुंच, अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देना, ई-कॉमर्स और डिजिटल पहल, एक जनजाति एक बुनाई पहल, एक व्यापक आजीविका संवर्धन योजना, स्वदेशी डिज़ाइनों और ज्ञान का कानूनी संरक्षण शामिल हैं।

वस्त्र एवं हस्तशिल्प विभाग इन पहलों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए नोडल विभाग के रूप में कार्य करेगा।

अपने मुख्य भाषण में, वस्त्र एवं हस्तशिल्प मंत्री न्यातो दुकम ने अरुणाचल में हथकरघा के सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व पर ज़ोर दिया।

“अरुणाचल में 26 प्रमुख जनजातियां हैं, और हमारे बुनकरों की वजह से ही ये पहचान स्पष्ट रूप से संरक्षित हैं। हथकरघा केवल सांस्कृतिक नहीं है। उन्होंने कहा, इसमें आर्थिक संभावनाएं भी हैं। यह नीति हमारे बुनकरों को आगे बढ़ने में मार्गदर्शन और समर्थन देने का एक रोडमैप है।

तेज़ू के विधायक डॉ. मोहेश चाई ने राष्ट्रीय हथकरघा दिवस की ऐतिहासिक प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला, जो 1905 के स्वदेशी आंदोलन की स्मृति में मनाया जाता है, जिसे 2015 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पुनर्जीवित किया था।

उन्होंने कहा, हमारा पारंपरिक परिधान सुंदर है, लेकिन असली चुनौती इसे एक जीवंत संस्कृति के रूप में जीवित रखना है। बदलाव स्वाभाविक है, लेकिन हमारी मूल परंपराओं और डिज़ाइनों को संरक्षित रखना होगा।

उन्होंने तेजू और सुनपुरा में नए शिल्प निर्माण केंद्रों की स्थापना की भी घोषणा की और आशा व्यक्त की कि इस तरह के बुनियादी ढांचे और आयोजन राज्य में हथकरघा आंदोलन को और ऊर्जावान बनाएंगे।

हिन्दुस्थान समाचार / तागू निन्गी

   

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