जोधपुर केंद्रीय कारागार में आजीवन कारावास की सजा काट रहा आसाराम इलाज के लिए कड़ी सुरक्षा के बीच पुणे रवाना

माधवबाग आयुर्वेद अस्पताल में होगा इलाज, 17 दिन की मिली है पैरोल

जोधपुर, 18 दिसम्बर (हि.स.)। अपने ही आश्रम की नाबालिग छात्रा से यौनाचार के आरोप में जोधपुर की सेंट्रल जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आसाराम को लेकर बुधवार को फ्लाइट से रातानाडा थाना पुलिस पुणे के लिए रवाना हो गई। पुणे स्थित माधवबाग आयुर्वेदिक अस्पताल में आसाराम का इलाज होगा।

राजस्थान हाई कोर्ट ने इसके लिए आसाराम को तीसरी बार 17 दिन की पैरोल दी है। इसके लिए बुधवार को पुलिस सुरक्षा के साथ आसाराम को एंबुलेंस से एयरपोर्ट लाया गया। आसाराम के साथ पुलिस के जवान रहेंगे। उसे किसी से मिलने की इजाजत नहीं होगी।

राजस्थान हाई कोर्ट ने गत 15 दिसंबर को आसाराम की 17 दिन की पैरोल मंजूर की थी। इससे पहले सात नवंबर को तीस दिन की पैरोल जोधपुर के निजी आयुर्वेदिक अस्पताल में इलाज के लिए मिली थी जबकि उससे पहले पहले सात दिन की पैरोल अगस्त में मिली थी। तब भी वह पुणे गया था। पैरोल के आदेश में हाई कोर्ट ने साफ किया कि पहले की तरह ही सुरक्षा व भक्तों को लेकर बनाए नियमों का आसाराम को ध्यान रखना होगा। इसके साथ आने-जाने एवं पुलिस सुरक्षा का तमाम खर्च आसाराम को ही वहन करना होगा लेकिन इस बार कोर्ट ने राहत दी कि महाराष्ट्र जाने के लिए जोधपुर में जिस निजी अस्पताल में वह भर्ती है वहां से सीधे एयरपोर्ट से पुणे जाएगा। उसे जेल जाकर एयरपोर्ट नहीं जाना होगा।

सजा निलंबन का फैसला जनवरी तक टला

इधर, गुजरात केस में आसाराम की सजा को निलंबित करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अपना फैसला जनवरी तक के लिए टाल दिया है। आसाराम के वकीलों ने सर्वोच्च न्यायालय से चिकित्सा आधार और दोष सिद्धि के गुण-दोष के आधार पर मामले की सुनवाई करने का आग्रह किया। न्यायमूर्ति एम. एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपनी जांच केवल याचिकाकर्ता की चिकित्सा स्थिति तक ही सीमित रखी।

बिगड़ते स्वास्थ्य को लेकर दुहाई दे रहा

आसाराम राजस्थान व गुजरात हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक बिगड़ते स्वास्थ्य की दुहाई दे रहा है। उसके अधिवक्ताओं ने इस बात पर जोर डाला कि हिरासत में उन्हें कई बार दिल का दौरा पड़ चुका है और उनकी कमजोर हालत के कारण उनके जीवन को खतरा है। आसाराम ने याचिका में कहा है कि जेल में बीतता प्रत्येक दिन मेरे स्वास्थ्य और सम्मान को नष्ट कर रहा है। उसका तर्क है कि वह पहले ही 11 साल से अधिक समय जेल में बिता चुका है और हो सकता है कि अपनी लंबित अपील की सुनवाई तक जीवित न रह पाएं।

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हिन्दुस्थान समाचार / सतीश

   

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