भारत 2047: जलवायु-अनुकूल भविष्य का निर्माण’ सम्मेलन 19 मार्च से, भारत मंडपम में होगा आयोजन
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- Mar 17, 2025

नई दिल्ली, 17 मार्च (हि.स.)। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, यूएसए के दो संस्थानों के सहयोग से 19 से 22 मार्च तक भारत मंडपम में ‘भारत 2047: जलवायु-अनुकूल भविष्य का निर्माण’ पर एक सम्मेलन का आयोजन कर रहा है। लक्ष्मी मित्तल एंड फैमिली साउथ एशिया इंस्टीट्यूट और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, यूएसए में सलाटा इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट एंड सस्टेनेबिलिटी इस कार्यक्रम के आयोजन भागीदार हैं। यह आयोजन अनुकूलन में प्रमुख चुनौतियों की पहचान करने और जलवायु-लचीले भारत 2047 की दिशा में क्षेत्र स्तर पर नीतियों, कार्यक्रमों और कार्रवाई के संदर्भ में भारत की प्रतिक्रिया को बेहतर बनाने का काम करेगा।
नीति आयोग की उपाध्यक्ष सुमन बेरी और केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह इस सम्मेलन के उद्घाटन सत्र का उद्घाटन करेंगे। इस कार्यक्रम को भारत सरकार, शिक्षा जगत, शोध संस्थानों, निजी क्षेत्र और हार्वर्ड विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित वक्ताओं द्वारा भी संबोधित किया जाएगा। इनमें लक्ष्मी मित्तल एंड फैमिली साउथ एशिया इंस्टीट्यूट के निदेशक प्रोफेसर तरुण खन्ना और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में जॉर्ज पाउलो लेमन प्रोफेसर, हार्वर्ड विश्वविद्यालय में जलवायु और स्थिरता के लिए वाइस प्रोवोस्ट प्रोफेसर जिम स्टॉक, हार्वर्ड विश्वविद्यालय में पर्यावरण विज्ञान और इंजीनियरिंग के प्रोफेसर प्रोफेसर डैनियल पी. श्राग आदि शामिल हैं।
चार दिवसीय सम्मेलन में कई तकनीकी सत्रों के साथ कई ब्रेकआउट सत्र होंगे। सत्र में जलवायु विज्ञान और जल एवं कृषि पर इसके निहितार्थ, स्वास्थ्य, कार्य, और निर्मित पर्यावरण जैसे विषय शामिल होंगे।
इस सम्मेलन में जलवायु विज्ञान और कृषि एवं जल पर इसके निहितार्थ विषय में हीटवेव, बदलते मानसून पैटर्न और जल वितरण मुद्दों के अनुकूल होने के वैज्ञानिक, नीतिगत और व्यावहारिक आयामों का पता लगाया जाएगा।
स्वास्थ्य विषय में भारत और दुनिया के प्रमुख स्वास्थ्य पेशेवरों और स्वास्थ्य प्रणाली विशेषज्ञों को गर्मी के प्रभाव पर आवश्यक प्रश्नों को संबोधित करने के लिए बुलाया जाएगा।
कार्य विषय में श्रम उत्पादकता पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
निर्मित पर्यावरण विषय में यह जांच करने का प्रयास किया जाएगा कि आने वाले दशकों में बढ़ते तापमान के लिए निर्मित पर्यावरण को कैसे तैयार किया जाना चाहिए।
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हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी