लाव-लश्कर के साथ विपश्यना करने पंजाब पहुंचे केजरीवाल, कांग्रेस-भाजपा ने कसा तंज

नई दिल्ली, 5 मार्च (हि.स.)। आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल की 10 दिवसीय विपश्यना साधना शुरू हो गई है, जो 15 मार्च को खत्म होगी। वह 4 मार्च को गाड़ियों के काफिले के साथ पंजाब के होशियारपुर से 11 किलोमीटर दूर स्थित आनंदगढ़ में धम्म धजा विपश्यना केंद्र पहुंचे। उनके काफिले में तीन दर्जन से अधिक गाड़ियां और सुरक्षा के लिए पंजाब पुलिस के 100 जवानों को तैनात किया गया है। इसको लेकर भाजपा और कांग्रेस ने कजेरीवाल पर निशाना साधा है।

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ ने मीडियाकर्मियों से कहा कि दिल्ली के शीश महल के तानाशाह एवं लूट के शहंशाह केजरीवाल पंजाब को लुटाने के षड्यंत्र के साथ राज्य में पूरा 'लूटू टोला' लेकर बैठ गए हैं।

भगवंत मान जवाब दें आखिर किस हैसियत से केजरीवाल, जो न की विधायक हैं न सांसद, ऐसे व्यक्ति के लिए पंजाब सरकार ने होशियारपुर में 100 गाड़ियों का काफिला कैसे लगवा दिया?

क्या सरकार बचाने के लिए भगवंत मान इतना नीचे गिर जाएंगे कि पंजाब के संसाधनों को एक व्यक्ति की खातिरदारी में उड़ा देंगे?

सत्ता के भोगी केजरीवाल अपनी विलासिता में इतना डूब चुके हैं कि उन्हें सत्ता में न होते हुए भी पूरा वीवीआईपी ट्रीटमेंट चाहिए और वो भी तब जब वो विपश्यना के लिए गए हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली तो बस झांकी थी पंजाब में भी झाडू़ साफ होगी।

दिल्ली के मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने सवाल उठाया कि पंजाब के टैक्सपेयर्स के पैसे का इस्तेमाल केजरीवाल की विपश्यना के लिए क्यों किया जा रहा है? सिरसा ने एक्स पर लिखा कि केजरीवाल कभी वैगनआर में एक आम आदमी होने का दिखावा करते थे, अब बुलेटप्रूफ लैंड क्रूजर, 100 से अधिक पंजाब पुलिस कमांडो, जैमर और एम्बुलेंस के एक भव्य काफिले में वीआईपी महाराजा की तरह चलते हैं। वह भी विपश्यना के लिए, जो शांति के लिए एकांतवास होता है।

कांग्रेस भी केजरीवाल पर हमलावर है। कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने तंज कसते हुए कहा कि शायद केजरीवाल दिल्ली विधानसभा चुनावों में हार नहीं पचा पाए। तिवारी ने कहा कि वह शांति की तलाश और अपने स्वास्थ्य के लिए विपश्यना कर रहे हैं। जीत और हार राजनीति का हिस्सा है। अगर आप 100 कारों के काफिले के साथ यात्रा करते हैं, कांग्रेस की आलोचना सही है। कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने कहा कि केजरीवाल सत्ता के इतने आदी हो गए हैं कि वे इससे बाहर नहीं आ पा रहे हैं। दिल्ली में हार गए, फिर भी उन्होंने यह भ्रम नहीं छोड़ा कि वह किसी तरह के राजा या सम्राट हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी

   

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