भाजपा ने श्रमश्री योजना को बताया धप्पाश्री, सरकार पर लगाए गंभीर आरोप

कोलकाता, 19 अगस्त (हि. स.)। पश्चिम बंगाल भाजपा ने राज्य सरकार की नई श्रमश्री योजना पर सवाल खड़े किए हैं। पार्टी के राज्य प्रवक्ता अधिवक्ता देवजीत सरकार ने मंगलवार को सॉल्ट लेक स्थित भाजपा कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस योजना को “धप्पाश्री परियोजना” करार दिया।

उन्होंने कहा है कि कोविड काल में जब केंद्र सरकार ने प्रवासी मजदूरों के लिए विशेष ट्रेनें चलाई थीं, तब मुख्यमंत्री ने उन ट्रेनों को “कोरोना ट्रेन” कहकर उपहास किया था। लेकिन अब चुनाव से पहले मुख्यमंत्री श्रमिक भत्ता की घोषणा कर रही हैं, जबकि न तो इसके लिए कोई ठोस वित्तीय खाका पेश किया गया है और न ही बजट के स्रोत स्पष्ट हैं।

देवजीत सरकार ने आरोप लगाया कि सरकार प्रवासी मजदूरों की सही संख्या और परिभाषा को लेकर भी भ्रम फैला रही है। मुख्यमंत्री कहती हैं कि राज्य में प्रवासी मजदूरों की संख्या 22 लाख है, जबकि भाजपा के पास उपलब्ध आंकड़े बताते हैं कि यह संख्या 40 लाख तक हो सकती है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कितने लोगों को यह भत्ता मिलेगा, किन-किन पेशों को इसमें शामिल किया जाएगा और क्या इस योजना पर उचित ऑडिट हुआ है। जब सरकार कोर्ट में यह कह रही है कि कर्मचारियों को डीए नहीं दिया जा सकता तो इस योजना के लिए पैसे कहां से आएगा ?

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पिछली योजनाओं चाहे आवास योजना हो या अम्फान राहत में असली लाभार्थियों को दरकिनार कर तृणमूल समर्थकों को लाभ पहुंचाया गया। ऐसे में आशंका है कि श्रमश्री योजना भी चुनाव से पहले तृणमूल कैडरों तक धन पहुंचाने का जरिया बनेगी।

भाजपा प्रवक्ता ने कहा है कि पार्टी को श्रमिकों को भत्ता देने पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन जनता के टैक्स का पैसा यदि तृणमूल कार्यकर्ताओं की जेब में जाएगा, तो इस योजना को भाजपा श्रमश्री नहीं बल्कि धप्पाश्री परियोजना ही कहेगी।

हिन्दुस्थान समाचार / अनिता राय

   

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