सामरिक महत्व- क्षेत्रीय विकास का आधार बन रही है बीआरओ की परियोजनाएं

बी आर ओ अरुणाचल प्रदेश

अलाेंग/ईटानगर, 27 नवंबर (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में देश के सीमावर्ती इलाकों में सशस्त्र बलों के लिए बुनियादी ढांंचे के विकास और रखरखाव की गतिविधियों में तेजी आई है। केन्द सरकार ने पूर्वोत्तर क्षेत्र के समग्र विकास व बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और सुरक्षा आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए कई ऐतिहासिक कदम उठाए हैं। अरुणाचल प्रदेश में सामारिक महत्व की सड़काें के विकास का जिम्मा भारतीय सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) संभाल रहा है। बीआरओ की परियोजनाएं केवल सैन्य दृष्टिकोण तक सीमित नहीं हैं। बल्कि ये क्षेत्रीय विकास का भी आधार बन रही हैं।

केंद्र की योजनाओं को लेकर बीआरओ के ब्रह्मांक परियोजना के हेड सुभाष चंद्र लुनिया ने बताया कि मध्य अरुणाचल प्रदेश में एल.ए.सी. के साथ बुनियादी ढांचे के विकास को गति देने के लिए ब्रह्मांक परियोजना शुरू की गई थी। इसके तहत अरुणाचल प्रदेश के सियांग, ऊपरी सियांग, पश्चिम सियांग और शी-यामी जिले में सड़कों के बुनियादी ढांचे के निर्माण व रखरखाव किया जा है। साथ ही असम के धेमाजी जिले में 04 सड़कों का रखरखाव हो रहा है। उन्होंने बताया कि सन् 2022-23 एवं 2023-24 में ब्रह्मांक परियोजना में अलोंग-यिंगकियोंग सड़क पर 100 मीटर स्पेन आर्च पुल बनाया गया। यह सियोम एवं सियांग नदी के संगम के पास स्थित है। सियोम पुल का निर्माण 180 दिनों के रिकॉर्ड समय में हुआ। ब्रह्मांक परियोजना स्थापना के दिवस से लेकर आज तक कुल 17 सड़कों का निर्माण कार्य पूरी तरह से पूर्ण हुआ है जिसकी कुल लम्बाई 496 किमी है। इसके साथ 42 स्थायी पुर्ली एवं 11 मड्यूलर पुलों का भी निर्माण कार्य पूरा हो चुका है।

सुभाष चंद्र लुनिया ने बताया कि ब्रह्मांक परियोजना विगत कई वर्षों से मौसम के अनुकूल एवं प्रतिकूल परिस्थितियों में भी हमेशा सड़कों/पुलों के निर्माण मे अग्रसर रहा है। यह परियोजना सैनिकों के साथ-साथ जनता के लिए हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने बताया कि सियोम और सियांग घाटियों के साथ सियांग, शि-योमी, पश्चिम सियांग और ऊपरी सियांग जिलों के लिए 1000 किलोमीटर सड़क नेटवर्क का विकास व निर्माण किया। सियांग नदी के पूर्व और पश्चिम तटों को जोड़ने के लिए यिंकियोंग के पास 386 मीटर लम्बा गांधी पुल निर्माणाधीन है।

लुनिया न बताया कि अरुणाचल प्रदेश में चालीस हजार करोड़ की लागत से बोमडिला-विजयनगर राजमार्ग बनाया जाएगा। अधिकारिक तौर पर इसे राष्ट्रीय राजमार्ग 913 नाम दिया गया है। इसकी लंबाई 1637.150 किलोमीटर है। यह 12 जिलों के 1683 गांर्वो को जोड़ता है। यह मैकमोहन रेखा सामानंतर चलेगा। इसके लिए 28 हजार 229 करोड़ रुपये स्वीकृत हो चुके हैं। इसका निर्माण 2027 में पूरा होगा। यह काम भी बीआरओ की देखरेख में पूरा हो रहा है। इसी प्रकार ट्रांस अरुणाचल के तहत 2407 किलोमीटर लंब राजमार्ग बन रहा है, जो उत्तर-पश्चिम के तवांग को दक्षिण पूर्व के कनुबारी से जोड़ेगा। यह राजमार्ग 16 जिलों से होते हुए प्रदेश की पूरी लंबाई से होकर गुजरेगा।

सीमा सड़क संगठन ने सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरंगों का निर्माण किया है। इनमें मेघालय में सोनापुर सुरंग, सिक्किम में थेंग, उत्तराखंड में चंबा, हिमाचल प्रदेश में अटल, अरुणाचल प्रदेश में नेचिफू व सेला सुरंग शामिल हैं। इनमें सेला सुरंग 13 हजार फीट की उंचाई पर है, जो देश में सबसे ऊंची है।

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हिन्दुस्थान समाचार / ईश्वर

   

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