बलिया, 23 नवंबर (हि.स.)।
एक ओर जहां देश की राजधानी दिल्ली वायु प्रदूषण से कराह रही है तो वहीं, प्रदेश के सुदूरवर्ती और गंगा व सरयू नदियों से आच्छादित जिले में वायु प्रदूषण ने दस्तक दे दी है। शनिवार सुबह बलिया में एक्यूआई तीन सौ के पार जा पहुंचा। जिसे बहुत खराब की श्रेणी में बताया जा रहा है।
दिल्ली में लगातार कई दिनों से वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर तक बना हुआ है। जिसकी चर्चा चारों तरफ हो रही है। वहीं, गंगा और सरयू जैसी नदियों से घिरे जिले में एयर क्वालिटी इंडेक्स शनिवार सुबह करीब नौ बजे इंटरनेट पर 342 दिखाया गया। जबकि सुबह करीब दस बजे ग्रामीण क्षेत्र सोहांव में 339 दिखाया जा रहा था। दोनों स्थानों पर एक्यूआई का यह स्तर काफी खराब की श्रेणी में था। गूगल के अनुसार यह रेड जोन में है। यानी जिले में वायु प्रदूषण इस स्तर जा पहुंचा है कि लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कई लोगों ने सांस लेने में तकलीफ की शिकायत की। वैसे आम लोगों की मानें तो इस वक्त शादियों का सीजन होने के चलते वाहनों का अधिक चलना और फसलों की कटाई के कारण उड़ने वाली धूल भी एक बड़ी वजह हो सकती है। हालांकि, जिले के मुख्य चिकित्साधिकारी डा. विजयपति द्विवेदी ने कहा कि यहां न तो माइनिंग है और न ही कोई बड़ी औद्योगिक इकाई है। बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य भी नहीं होता। बावजूद इसके एक्यूआई का इतना बढ़ना सोचने वाली बात है। उन्होंने कहा कि जिले में भूगर्भ जल में आर्सेनिक होने के कारण जल प्रदूषण की बात तो मानी जा सकती है। लेकिन यदि वायु प्रदूषण है तो इसके लिए जिला प्रशासन को देखना चाहिए। मैं इसके लिए बात करूंगा।
वहीं, पर्यावरणविद डा. गणेश पाठक ने कहा कि बलिया में एक्यूआई तीन सौ ऊपर है तो यह स्थिति ठीक नहीं है। क्योंकि यहां कोई फैक्ट्री नहीं है। हां, यहां वाहनों की संख्या जरूर बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि अभी एक्यूआई बढ़ने की मुख्य वजह पछुआ हवा है जी पंजाब और दिल्ली में पैदा हुए वायु प्रदूषण को अपने साथ लेकर आज रहा है। श्री पाठक ने कहा कि पराली और ऑटोमोबाइल क्षेत्र से पैदा प्रदूषण वायु के माध्यम से तेजी से फैलता है। इससे हवा में एक विशेष प्रकार की गंध महसूस होती है जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है।
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हिन्दुस्थान समाचार / नीतू तिवारी