फसलों को पाले एवं शीत लहर से बचाने के लिए हल्की सिंचाई होती है फायदेमंद

बलिया, 16 जनवरी (हि.स.)। जिला कड़ाके की ठंड और शीत लहर की चपेट में है। ऐसे में फसलों को नुकसान होने की संभावना बनी रहती है। इसकाे देखते हुए कृषि वैज्ञानिक ने फसलों को हल्की सिंचाई करने की सलाह दी है।

आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या द्वारा जिले के सोहांव में संचालित कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. संजीत कुमार ने बताया कि पौधशालाओं कें पौधों एवं सीमित क्षेत्र वाले उद्यानों, नगदी सब्जी वाली फसलों में भूमि के ताप को कम न होने देने के लिए फसलों में हल्की सिंचाई करनी चाहिए। नमीयुक्त जमीन में काफी देरी तक गर्मी रहती है और भूमि का तापक्रम एकदम कम नहीं होता है। इस प्रकार पर्याप्त नमी होने पर शीतलहर व पाले से नुकसान की सम्भावना कम रहती है। वैज्ञानिकों के अनुसार सर्दी में फसल में सिंचाई करने से 0.5 डिग्री से दो डिग्री सेल्सियस तक तापमान बढ़ जाता है।

जिन दिनों पाला पडने की संभावना हो, उन दिनों फसलों पर गंधक के तेजाब के 0.1 प्रतिशत घोल का छिड़काव करना चाहिए। इसके लिए एक लीटर गंधक के तेजाब को एक हजार लीटर पानी में घोलकर एक हेक्टयर क्षेत्र में प्लास्टिक के स्प्रेयर से छिड़कें। ध्यान रखें कि पौधों पर घोल की फुहार अच्छी तरह लगे। छिड़काव का असर दो हफ्ते तक रहता है, अगर इस अवधि के बाद भी शीतलहर व पाले की संभावना बनी रहे तो गंधक के तेजाब को 15 से 15 दिन के अंतर से दोहराते रहें।

सरसों, गेहूं चना, आलू, मटर जैसी फसलों को पाले से बचाने में गंधक के तेजाब का 0.1 प्रतिशत छिड़काव करने से न केवल पाले से बचाव होता है, बल्कि पौधों में लौह तत्व की जैविक और रासायनिक सक्रियता बढ़ जाती है, जो पौधों में रोग रोधिता बढ़ाने में और फसल को जल्दी पकाने में सहायक होती है।

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हिन्दुस्थान समाचार / नीतू तिवारी

   

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