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जयपुर, 10 फ़रवरी (हि.स.)। निर्माण के देवता भगवान विश्वकर्मा की जयंती सोमवार को छोटी काशी में श्रद्धापूर्वक मनाई गई। मुख्य आयोजन विश्वकर्मा रोड नंबर एक स्थित विश्वकर्मा मंदिर में हुआ। भगवान विश्वकर्मा का अभिषेक कर नवीन पोशाक धारण कराई गई। ऋतु पुष्पों से श्रृंगार किया गया। कारपेंटर एसोसिएशन विकास समिति सहित जांगिड़ समाज की अनेक संस्थाओं की ओर से हवन किया गया। रतन जांगिड़, मनोज जांगिड़, दिनेश जांगिड़ सहित अन्य ने महाआरती की।
गुर्जर की थड़ी स्थित कटेवा नगर के विश्वकर्मा मंदिर में भगवान का पंचामृत अभिषेक कर नूतन पोशाक धारण कराई गई। फूलों से विशेष श्रृंगार कर दाल, बाटी, चूरमा सहित अनेक व्यंजनों का भोग लगाकर महाआरती की गई।
विश्वकर्मा वेलफेयर सोसायटी, मालवीय नगर की ओर से जगतपुरा रोड डाक कॉलोनी स्थित विश्वकर्मा मंदिर में भगवान विश्वकर्मा की झांकी सजाई गई। अखिल भारतीय विश्वकर्मा पांचाल महासभा जयपुर की ओर से ब्रह्मपुरी कागदीवाड़ा स्थित श्री वैष्णोदेवी मंदिर में भगवान विश्वकर्मा की पूजा-अर्चना की गई।
त्रिशूल-सुदर्शन चक्र का किया निर्माण:
ज्योतिषाचार्य पं. सुरेन्द्र गौड़ ने बताया कि शास्त्रों में भगवान विश्वकर्मा को वास्तुकार और शिल्पकार बताया गया है। भगवान विश्वकर्मा ने ही इंद्रपुरी, द्वारिका, हस्तिनापुर, स्वर्गलोक, लंका और जगन्नाथपुरी का निर्माण किया था। शास्त्रों के अनुसार उन्होंने ही भगवान शिव का त्रिशूल और विष्णु भगवान का सुदर्शन चक्र तैयार किया था।
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हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश