पटाखे जलाएं लेकिन बेजुबानों का भी रखें ध्यान : डॉक्टर शशिकांत 

कानपुर, 30 अक्टूबर (हि.स.)। पटाखे जलाएं लेकिन बेजुबानों का भी ध्यान रखना चाहिए। अपनी खुशी के लिए दूसरे बेजुबानों के जीवन को खतरे में नहीं डालना चाहिए। यह जानकारी बुधवार को चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के पशुपालन वैज्ञानिक डॉ शशिकांत ने दी।

उन्होंने बताया कि दीपावली पर्व पर जिन पटाखों का प्रयोग होता है उसमें से सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, मोनो डाइऑक्साइड जैसी जहरीली गैसे निकलती है। जिससे पशु पक्षियों को इन गैसों से स्वांस रोग हो जाता है।

उन्होंने बताया कि इन पटाखों की तीव्रता लगभग 140 से 150 डेसीमल होती है। जो सामान्य जनों के कानों में असहनी होता है। जिसकी वजह से विभिन्न प्रकार के रोग हो जाते हैं। साथ ही गर्भित पशुओं का गर्भपात होने की प्रबल संभावना होती है।

उन्होंने कहा कि दुधारू पशुओं का दूध कम हो जाता है पशु उग्र हो जाते हैं। पालतू कुत्ते डरे सहमें से रहते हैं तथा एकांत स्थान की तलाश में रहते हैं। इन पटाखों का सबसे ज्यादा नुकसान परिंदों को होता है। वे अपने घोंसले में ही इन आवाजों को सुनकर दम तोड़ देते हैं, जबकि पटाखे की आवाज 90 डेसिमल से भी कम होनी चाहिए। जो पशु पक्षियों के लिए क्षति न पहुंच जाए।

उन्होंने सलाह दी है कि ऐसे पटाखे का प्रयोग करना चाहिए एवं पटाखे ऐसे स्थान पर चलना चाहिए जहां पालतू जानवर न हो। साथ ही पटाखे चलाते समय अपने पास कम से कम एक बाल्टी पानी अवश्य रखें। जिससे कोई घटना घटित होने से पूर्व उसको नियंत्रित किया जा सके।

---------------

हिन्दुस्थान समाचार / रामबहादुर पाल

   

सम्बंधित खबर