मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पंडित रघुनाथ मुर्मू को दी श्रद्धांजलि, उनके योगदान को बताया स्मरणीय

कोलकाता, 12 मई (हि.स.) ।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ‘अलचिकी’ लिपि के आविष्कारक और प्रख्यात भाषाविद् पंडित रघुनाथ मुर्मू की जयंती पर गहरी श्रद्धांजलि अर्पित की है। इस अवसर पर उन्होंने संथाली समाज के लिए रघुनाथ मुर्मू के अवदान को “हमारा गर्व” बताया और कहा कि उनकी सरकार ने ही सबसे पहले उनके जन्मदिन पर राजकीय अवकाश घोषित किया था।

मुख्यमंत्री ने अपने संदेश में लिखा, प्रथितयशा भाषातत्त्वविद् एवं 'अलचिकी' लिपि के आविष्कारक पंडित रघुनाथ मुर्मू के जन्मदिवस पर मैं उन्हें हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं। यह हमारा गर्व है कि हमारे संथाल भाई-बहनों के लिए उनके असाधारण योगदान को मान्यता देते हुए हमारी सरकार ने ही सबसे पहले उनके जन्मदिन को राजकीय अवकाश घोषित किया था। इस अग्रणी पहल को अब अन्य स्थानों पर भी अपनाया जा रहा है। हमने उनके नाम पर एक कॉलेज की स्थापना भी की है। मैं एक बार फिर उन्हें सादर नमन करती हूं।

---------

पंडित रघुनाथ मुर्मू का योगदान

पंडित रघुनाथ मुर्मू (1905–1982) संथाली भाषा और साहित्य के एक महान पुरोधा थे। उन्होंने संथाली भाषा के लिए 'ओलचिकी' नामक स्वतंत्र लिपि का सृजन किया, जिससे संथाली भाषा को अपनी एक विशिष्ट पहचान मिली। उनके इस कार्य ने न केवल भाषा को संरक्षित किया, बल्कि संथाली समुदाय को सांस्कृतिक स्वाभिमान भी प्रदान किया। उन्होंने कई पुस्तकें, नाटक और साहित्यिक कृतियां लिखीं, जिनमें धरम पाहा, सिंगार बेगुन जैसी रचनाएं प्रमुख हैं।

राज्य सरकार ने उनके सम्मान में पश्चिम बंगाल के विभिन्न हिस्सों में कार्यक्रमों का आयोजन शुरू किया है और उनके नाम पर कॉलेज की स्थापना कर उनके योगदान को अमर बनाने का प्रयास किया है।

हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर

   

सम्बंधित खबर