गुरु श्री गुरु तेग बहादुरजी का मना 350वां शहीदी गुरुपर्व

रांची, 25 नवंबर (हि.स.)। गुरुद्वारा श्री गुरु नानक सत्संग सभा की ओर से मंगलवार को सिख पंथ के नौवें गुरु श्री गुरु तेग बहादुरजी का 350वां शहीदी गुरुपर्व मनाया गया।

इस अवसर पर गुरु घर के सेवक मनीष मिढा ने श्री गुरु तेग बहादुरजी की शहादत के बारे में साध संगत को बताया कि उनका बचपन का नाम त्यागमल था, मात्र 14 वर्ष की आयु में अपने पिता के साथ मुगलों के हमले के खिलाफ हुए युद्ध में उन्होंने वीरता का परिचय दिया। उनकी वीरता से प्रभावित होकर उनके पिता ने उनका नाम त्यागमल से तेग बहादुर (तलवार के धनी) रख दिया। मुगल शासक औरंगजेब ने गुरु तेग बहादुरजी को हिंदुओं की मदद करने और इस्लाम नहीं अपनाने के कारण उन्हें मौत की सजा सुनाई। इस्लाम अपनाने से इनकार करने की वजह से औरंगजेब के शासनकाल में उनका सिर कलम कर दिया गया। गुरु जी के त्याग और बलिदान के कारण उन्हें हिन्द दी चादर कहा जाता है, जहां गुरु तेग बहादुर जी ने शहादत दी चांदनी चौक दिल्ली के उसी स्थल पर उनकी याद में शीशगंज साहिब गुरुद्वारा बनाया गया है, जो उनके धर्म की रक्षा के लिए किए गए कार्यों की हमें याद दिलाता रहता है।

वहीं मौके पर कृष्णा नगर कॉलोनी गुरुद्वारा साहिब में सुबह से विशेष दीवान सजाया गया, जिसकी शुरुआत हजूरी रागी जत्था भाई महिपाल सिंह और साथियों ने कई शबद गायन कर साथ संगत को गुरुवाणी से जोड़ा। वहीं शहीदी गुरुपर्व में विशेष रूप से शिरकत करने पहुंचे सिख पंथ के महान कीर्तनी जत्था भाई जसवंत सिंहजी (कोलकाता वाले) ने तिलक जंझू राखा प्रभु ताका कीनो बडो कलू महि साका..., साधन हेत इति जिन करी, शीश दिया पर सी न उचरी.... जैसे शबद गायन के साथ संगत को गुरुवाणी से जोड़ा।

सत्संग सभा के अध्यक्ष अर्जुन देव मिढा ने श्री गुरु तेग बहादुर जी के शहादत का वर्णन करते हुए साध संगत को बताया कि हिंदू धर्म की रक्षा के लिए श्री गुरु तेग बहादुर जी ने शहादत दी। ऐसी दूसरी मिसाल दुनिया में कही नहीं है।

---------------

हिन्दुस्थान समाचार / Manoj Kumar

   

सम्बंधित खबर