विचाराधीन कैदियों को राहत देने के लिए केंद्र ने राज्यों को लिखा पत्र
- Admin Admin
- Jan 07, 2025
नई दिल्ली, 7 जनवरी (हि.स.)। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (बीएनएसएस) की धारा 479 का पालन करने का निर्देश दिया है। इसके तहत विचाराधीन कैदियों को राहत दी जा सकती है। जिसका उद्देश्य मुकदमे की प्रतीक्षा के दौरान जेल में बंद लोगों की संख्या को कम करना है।
इस संबंध में केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने 1 जनवरी को राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ जेल अधिकारियों को एक पत्र भेजा है। इस पत्र में उन्हें भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) 2023 की धारा 479 का पालन करने के लिए कहा है। इस धारा के तहत ऐसे विचाराधीन कैदियों को रिहा किया जाता है, जिन्होंने अपनी संभावित सजा का एक हिस्सा पूरा कर लिया है। पहली बार अपराध करने वाले कैदियों को उनकी अधिकतम संभावित सजा का एक तिहाई हिस्सा पूरा करने के बाद जमानत पर रिहा किया जा सकता है। अन्य विचाराधीन कैदी अपनी संभावित अधिकतम सजा का आधा हिस्सा पूरा करने के बाद जमानत के पात्र हैं।
मंत्रालय ने अपने पत्र में कहा, यह दोहराया जाता है कि बीएनएसएस की धारा 479 के प्रावधान विचाराधीन कैदियों की लंबी हिरासत काे कम करने और जेलों में भीड़भाड़ के मुद्दे को भी हल कर सकते हैं। इसलिए, यह उम्मीद की जाती है कि सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश इस मामले में सहयोग करेंगे और संबंधित जेल अधिकारियों को मामले में आवश्यक कार्रवाई करने और गृह मंत्रालय को वांछित जानकारी देने के लिए सलाह देंगे।
उल्लेखनीय है कि यह पहली बार नहीं है जब सरकार ने इस कानून के क्रियान्वयन पर जोर दिया है। पिछले साल अक्टूबर को एक एडवाइजरी जारी की गई थी और नवंबर में एक विशेष अभियान शुरू किया गया था। इस कानून में यह भी प्रावधान है कि जेल अधीक्षक पात्र कैदियों की रिहाई के लिए काेर्ट में आवेदन कर सकते हैं। केंद्र सरकार 1 जनवरी से इस कानून के क्रियान्वयन पर अपडेट चाहती है। उन्होंने पात्र कैदियों की संख्या, दायर किए गए आवेदनों और दी गई रिहाई के बारे में डेटा मांगा है। मंत्रालय का मानना है कि यह कानून जेलों में लंबे समय तक हिरासत और भीड़भाड़ को काफी हद तक कम कर सकता है।
---------------
हिन्दुस्थान समाचार / सुशील कुमार