अपडेट : एनबीएमसीएच में मरीजों का हंगामा, सुरक्षा कर्मियों पर भी हमला

कोलकाता, 15 अक्टूबर (हि.स.)। उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) में इलाज न मिलने के आरोप के बाद मंगलवार को मरीजों के एक समूह ने जमकर हंगामा किया। इस दौरान अस्पताल में तोड़फोड़ की गई और सुरक्षा कर्मियों पर भी हमला करने का आरोप है। पुलिस ने घटना के सिलसिले में दो महिलाओं को हिरासत में लिया है और मामले की जांच शुरू कर दी गई है।

मंगलवार सुबह बड़ी संख्या में मरीज ओपीडी में पहुंचे थे। मरीजों का आरोप था कि विभाग का एक हिस्सा बंद होने के कारण उन्हें चिकित्सा सेवा नहीं मिली। इससे नाराज मरीजों ने अस्पताल अधीक्षक के कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया और वहां रखी कुर्सियों को पलट दिया। कुछ मरीजों ने अधीक्षक के कार्यालय में घुसकर भी तोड़फोड़ की कोशिश की।

जब मरीजों ने अधीक्षक के कमरे में घुसने का प्रयास किया, तो सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें रोकने की कोशिश की, जिसके बाद दोनों पक्षों के बीच धक्का-मुक्की हुई। आरोप है कि इसी दौरान सुरक्षा कर्मियों से मारपीट की गई। स्थिति बिगड़ते देख अस्पताल प्रशासन ने पुलिस को सूचित किया, जिसके बाद पुलिस ने मौके पर पहुंचकर हालात पर काबू पाया।

प्रदर्शनकारी मरीजों का कहना है कि डॉक्टरों की हड़ताल के कारण उन्हें नियमित रूप से चिकित्सा सेवा नहीं मिल रही है, और कई बार अस्पताल से बिना इलाज के लौटना पड़ता है। प्रदर्शनकारी मरीजों ने यह भी आरोप लगाया कि वे वरिष्ठ डॉक्टरों से बातचीत करना चाहते थे, लेकिन सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया।

मंगलवार को ओपीडी के लिए टिकट लेकर कई मरीज इलाज के लिए संबंधित विभागों में पहुंचे थे, लेकिन उन्हें वहां कोई सेवा नहीं मिली। मरीजों ने आरोप लगाया कि मानसिक रोग और तंत्रिका रोग विभाग में बिल्कुल भी चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं थी।

प्रदर्शन का नेतृत्व कर रही महिलाओं का कहना था कि दूर-दराज से आने वाले मरीजों के लिए यह अस्पताल एकमात्र सहारा है। प्रदर्शनकारियों में शामिल वसीम अली ने कहा, “हमें हर महीने दवाइयों की जरूरत होती है। पूजा की छुट्टियां खत्म हो चुकी हैं, लेकिन हम सुबह से लाइन में खड़े हैं और मानसिक रोग विभाग अब बंद है। हमें कहा जा रहा है कि दवाइयां पहले से लेनी चाहिए थीं, लेकिन हम कहां से लाते?”

एक अन्य प्रदर्शनकारी, मंजुला देवी ने कहा, “मैं अपने बेटे के लिए दवा लेने आई थी, लेकिन यहां न तो डॉक्टर हैं और न दवा। अब हम क्या करें?”

अस्पताल के अधीक्षक संजय मलिक ने घटना पर टिप्पणी करते हुए कहा, “डॉक्टरों की हड़ताल के कारण कई विभागों में सेवाएं बाधित हैं। मरीजों की शिकायतें हो सकती हैं, लेकिन दवाइयों की कमी की शिकायत पहले कभी नहीं मिली।”

उल्लेखनीय है कि हाल ही में कोलकाता के एसएसकेएम अस्पताल में भी दो गुटों के बीच हिंसक झड़प हुई थी, जहां कुछ लोगों ने क्रिकेट बैट और हॉकी स्टिक लेकर अस्पताल में तोड़फोड़ की थी।

हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर

   

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