हर राष्ट्रवादी को संस्कृत पढ़ना चाहिये : आनंदीबेन पटेल

सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में राज्यपाल: फोटो बच्चा गुप्तासम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में राज्यपाल: फोटो बच्चा गुप्ता

—सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय का 42वां दीक्षांत समारोह सम्पन्न

—संस्कृत मात्र एक भाषा ही नहीं अपितु भारत के एक गौरवपूर्ण इतिहास को समेटने वाली अमूल्य निधि: प्रो.अनिल सहस्त्रबुद्धे

वाराणसी, 26 सितम्बर(हि.स.)। सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय का 42वां दीक्षान्त समारोह गुरूवार को परिसर स्थित ऐतिहासिक मुख्य भवन में सम्पन्न हुआ। दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता करते हुए कुलाधिपति और प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि संस्कृत भाषा देववाणी है तो, देशवाणी भी है। हर राष्ट्रवादी को संस्कृत पढ़ना चाहिये। समारोह में राज्यपाल ने मुख्य अतिथि राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (नैक) के चेयरमैन प्रो.अनिल सहस्त्रबुद्धे के साथ 31 मेधावियों को 56 स्वर्णपदक दिए। जिसमें आचार्य परीक्षा में सर्वोच्च अंक पाने वाली टुम्पा राय को 07 स्वर्ण पदक मिला। समारोह में 13733 छात्र और छात्राओं को शास्त्री, आचार्य और विद्या वारिधि (पीएचडी) की उपाधियां दी गईं।

इस अवसर पर राज्यपाल ने आचार्यों से अपील किया कि संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार के लिये संस्कृत के शब्दों की छोटी किताब प्रकाशित की जाय। जिससे संस्कृत भाषा का प्रचार-प्रसार और विकास तीव्र गति से हो सके। उन्होंने परिसर स्थित सरस्वती भवन पुस्तकालय में संरक्षित दुर्लभ पांडुलिपियों का उल्लेख किया। बताया कि हजार वर्ष या उससे पूर्व की पांडुलिपियों को संरक्षित किया गया है। जिसमें अनमोल ज्ञान राशि निहित हैं, उसके संरक्षण का कार्य भी भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन अच्छे ढंग से कर रहा है। उन्होंने कहा कि पांडुलिपियों का प्रकाशन कराकर व्यापक प्रचार प्रसार भी किया जाना चाहिए।

दीक्षांत समारोह में राज्यपाल ने खिलाड़ी आकांक्षा वर्मा के संघर्ष और सफलता का भी जिक्र किया। समारोह में मुख्य अतिथि नैक चेयरमैन प्रो.अनिल सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि संस्कृत मात्र एक भाषा ही नहीं अपितु भारत के एक गौरवपूर्ण इतिहास को समेटने वाली अमूल्य निधि है । जो समस्त भारतीयों के लिये उर्जा का श्रोत है। संस्कृत ज्ञान के बिना भारत को जानना पूर्ण सम्भव नही है। उन्होंने कहा कि हम लोग सुनते हैं कि विज्ञान यूरोप से आया तो यह बिलकुल गलत है। आप अपनी धारणा को बदलें। विज्ञान और गणित के साथ ही साथ भौतिक विज्ञान की उत्पत्ति भी भारत से ही हुई है। यहां से पहले ईरान और फिर अमेरिका पहुंची है।

समारोह में विशिष्ट अतिथि प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने कहा कि मेडल प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को समाज का माडल बनना होगा तभी सही रूप में उनके द्वारा अर्जित ज्ञान का उपयोग हो सकेंगा। समारोह में उच्च शिक्षा राज्य मंत्री रजनी तिवारी ने काशी नगरी के महिमा का बखान किया।

दीक्षांत समारोह में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने विशिष्ट अतिथि गृह का शिलान्यास भी किया।

---------------

हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी

   

सम्बंधित खबर