एआई फेक न्यूज और डीपफेक से जागरूक करने के लिए साइबर फर्स्ट रिस्पॉन्डर वर्कशॉप आयोजित

जयपुर, 18 नवंबर (हि.स.)। इंडियन स्कूल ऑफ बिज़नेस (आईएसबी) के आईआईडीएस ने साइबर पीस फ़ाउंडेशन और राजस्थान पुलिस के साथ मिलकर मंगलवार को जयपुर में पत्रकारों के लिए एक वर्कशॉप आयोजित की। इस वर्कशॉप का नाम साइबर फ़र्स्ट रिस्पॉन्डर ट्रेनिंग था। जिसमें पत्रकारों को फेक न्यूज, गलत जानकारी और डीपफेक पहचानने की ट्रेनिंग दी गई।

भारत की सूचना व्यवस्था को मजबूत बनाने की देश-भर की पहल के तहत यह वर्कशॉप आयोजित की गई। यह वर्कशॉप इंडिया एआई इम्पैक्ट समिट 2026 से पहले होने वाली आधिकारिक प्री-कॉन्फ्रेंस वर्कशॉप भी थी। यह समिट इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय द्वारा आयोजित किया जा रहा है। इस अंतरराष्ट्रीय मंच का उद्देश्य यह दिखाना है कि एआई कैसे सभी के लिए विकास, स्थिरता और बराबरी के अवसरों को बढ़ावा दे सकता है।

वर्कशॉप में बताया गया कि एआई कैसे सबके लिए विकास को बढ़ावा देता है, टिकाऊ समाधान ला सकता है और समाज को बराबरी की दिशा में आगे बढ़ा सकता है। इसमें यह भी समझाया गया कि जिम्मेदारी से एआई का इस्तेमाल करने से जानकारी की सच्चाई बनाए रखने में मदद मिलती है और समाज गलत जानकारी से बचने के लिए मजबूत बन सकता है।

राजस्थान डीजीपी राजीव शर्मा (आईपीएस) ने कहा कि आज के डिजिटल युग में गलत जानकारी, फेक न्यूज़ और डीप फेक लोगों के विश्वास और सामाजिक सद्भाव के लिए गंभीर खतरा हैं। कंटेंट से छेड़छाड़ को रोककर सत्य उजागर करने में पत्रकार, मीडिया प्रोफेशनल और कंटेंट निर्माता बचाव की पहली कतार का निर्माण करते हैं। इस वर्कशॉप से डिजिटल सतर्कता को मजबूत बनाने और जानकारी के जवाबदेह उपयोग को बढ़ावा देने की राजस्थान पुलिस की प्रतिबद्धता प्रदर्शित होती है। राजस्थान पुलिस, आईएसबी और साइबर पीस फाउंडेशन के सहयोग से आयोजित इस वर्कशॉप में मीडिया को डिजिटल खतरों को पहचानने, उनका सत्यापन करने और उनसे निपटने के लिए महत्वपूर्ण कौशल प्राप्त हुआ।

इस वर्कशॉप में आईआईडीएस (आईएसबी) और साइबर पीस फाउंडेशन के विशेषज्ञों ने अलग-अलग सेशन लिए। इन सत्रों में एआई की मदद से फैक्ट-चेक करने, वीडियो और चित्रों में डीपफेक पहचानने तथा भावनात्मक पूर्वाग्रह, सनसनीखेज भाषा और संदर्भ से बाहर के दृश्यों आदि गलत जानकारी के पैटर्न का पता लगाने के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की गई। प्रतिभागियों ने प्रैक्टिकल एक्सरसाइज, लाइव फैक्ट-चेकिंग, असली मामलों का विश्लेषण किया और एआई से सही तरीके से सवाल पूछकर जानकारी की जांच करना भी सीखा।

आईआईडीएस (आईएसबी) के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर, प्रोफेसर मनीष गंगवार ने कहा कि यह वर्कशॉप पत्रकारों को जिम्मेदारी से रिपोर्टिंग करने में मदद देने के लिए बनाई गई है, खासकर आज के डिजिटल दौर में जहाँ चीज़ें बहुत तेजी से बदल रही हैं। उन्होंने बताया कि डेटा साइंस, एआई और मीडिया की समझ को मिलाकर आईएसबी का उद्देश्य पत्रकारों को गलत जानकारी पहचानने में सक्षम बनाना और सही व भरोसेमंद खबरों पर लोगों का विश्वास बढ़ाना है।

साइबर पीस के फाउंडर और ग्लोबल प्रेसिडेंट मेजर विनीत कुमार ने बताया कि फेक न्यूज़, एआई से बनी गलत जानकारी और डीपफेक सिर्फ तकनीकी समस्या नहीं हैं, बल्कि ये जनता के भरोसे से जुड़ी बड़ी चुनौती हैं। उन्होंने बताया कि साइबर पीस, आईएसबी के साथ मिलकर पत्रकारों और कंटेंट क्रिएटर्स को ऐसी ट्रेनिंग देना चाहता है, जिससे वे सिंथेटिक मीडिया को पहचान सकें और नुकसान होने से पहले उसका प्रसार रोक सकें। उनका कहना है कि इससे हमारा सूचना तंत्र मजबूत होगा और सच जल्दी पहुँचेगा, नुकसान कम होगा।

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हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश

   

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