भू माफियाओं पर डीसी की बड़ी कार्रवाई, 403 एकड़ जमीन की अवैध जमाबंदी रद्द
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- Feb 08, 2025
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रामगढ़, 8 फ़रवरी (हि.स.)। रामगढ़ डीसी चंदन कुमार ने भू माफियाओं पर एक बार फिर गाज गिराई है। यहां गैर मंजरुआ जंगल जमीन की अवैध जमाबंदी को उन्होंने रद्द कर दिया है। मांडू प्रखंड के चपरा मौजा में 403.30 एकड़ जमीन की अवैध जमाबंदी शनिवार को रद्द कर दी गई है।
डीसी चंदन कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मांडू प्रखंड के चपरा मौजा में उमापदो सेन मोदक, इशहाक मियां और विश्वनाथ सेन मोदक के नाम पर अवैध जमाबंदी चल रही थी। थाना संख्या 94, खाता संख्या 7 में इन तीन भू माफियाओं ने इस बड़े भू-भाग पर अपना कब्जा होने का दवा दस्तावेजों के आधार पर किया था। लेकिन वे सारे दस्तावेज फर्जी निकले। उमा पदों से मोदक के नाम पर 168.30 एकड़ जमीन की अवैध जमाबंदी कायम थी। इशहाक मियां के नाम पर 150 एकड़ जमीन की जमाबंदी कराई गई थी। साथ ही विश्वनाथ सेन मोदक के नाम पर 85 एकड़ जमीन की अवैध जमाबंदी खोली गई थी।
डीसी चंदन कुमार ने बताया कि संदेहास्पद जमाबंदी कायम किए जाने का मामला जब प्रकाश में आया तो पूरी जांच की गई। अंचल अधिकारी ने दस्तावेज की जांच की और अपर समाहर्ता को भेजा। वहां से पूरी सुनवाई के बाद डीसी कार्यालय को दस्तावेज भेजा गया। न्यायालय में मामले की सुनवाई की गई एवं न्यायालय द्वारा संबंधित मामले में बिहार-झारखंड भूमि सुधार अधिनियम 1950 की धारा 4 एच के तहत कायम संदेहात्मक जमाबंदी को रद्द किया गया। जिसके बाद विभागीय प्रक्रिया के अंतर्गत जमाबंदी रद्द की संपुष्टि के लिए प्रस्ताव आयुक्त उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल हजारीबाग को भेजा गया है।
डीसी में संदेहास्पद जमाबंदी रद्द करने का कारण भी बताया है। सबसे मूल कारण यह है कि उमापदो सेन मोदक, इशहाक मियां और विश्वनाथ सेन मोदक दस्तावेज तो प्रस्तुत कर रहे हैं, लेकिन प्रश्नगत भूमि पर उनका कब्जा नहीं है। रिर्टन ''के'' प्रपत्र दाखिल नही होना एवं इस संबंध में कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया गया। दूसरा कारण यह है कि ''एम'' प्रपत्र पर लगान निर्धारण किया जाना आवश्यक है, परन्तु इस संबंध में कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया गया। पंजी-2 में जमाबन्दी खोलने हेतु किसी सक्षम पदाधिकारी का आदेश नहीं है। रैयत मान्यता अभिलेख पर सक्षम प्राधिकार का हस्ताक्षर नहीं है। वन भूमि पर बन्दोबस्ती सरकार के आदेश के बिना विधि विरुद्ध है।
डीसी चंदन कुमार की इस कार्रवाई से झारखंड सरकार को 800 करोड़ के राजस्व का फायदा हो सकता है। डीसी ने बताया कि झारखंड राज्य खनिज संपदाओं से भरा हुआ है। यहां कोई भी कंपनी अगर काम करती है तो उन्हें सीए लैंड के तहत वृक्षारोपण के लिए जमीन उपलब्ध कराने का प्रावधान है। अगर 403 एकड़ जमीन सीए लैंड के तहत किसी कंपनी को उपलब्ध कराई जाती है, तो राज्य सरकार को लगभग 800 करोड रुपए का लाभ हो सकता है।
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हिन्दुस्थान समाचार / अमितेश प्रकाश