सेना ​के साथ दूसरे परीक्षण में भी खरी उतरी मैन पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल


- मिसाइल ने लक्ष्य बनाकर रखे गए टैंक पर सटीक हमला करके नष्ट कर दिया

- सेना के लिए तीसरी पीढ़ी की स्वदेशी मिसाइल हासिल करने का रास्ता साफ

नई दिल्ली, 13 अगस्त (हि.स.)। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने मंगलवार को राजस्थान के पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में मैन पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल का सेना की मौजूदगी में दूसरा परीक्षण किया है। इस दौरान मिसाइल और वारहेड के प्रदर्शन मानक के अनुरूप पाए गए। परीक्षण का लक्ष्य एक डमी टैंक था, जिसे मिसाइल ने सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया था। इस परीक्षण ने सेना के लिए तीसरी पीढ़ी की स्वदेशी मैन पोर्टबल एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल हासिल करने का रास्ता बना दिया है।

डीआरडीओ ने इससे पहले 13 अप्रैल को 'आत्मनिर्भर भारत' पहल और भारतीय सेना को मजबूत करने के लिए मैन पोर्टेबल ट्राइपॉड से मिसाइल दागी और इसके निशाने पर एक नकली सक्रिय टैंक था। मिसाइल ने टॉप अटैक मोड में लक्ष्य को निशाना बनाकर पूरी तरह से नष्ट कर दिया। इस दौरान मिशन के सभी उद्देश्य हासिल किए गए। इस मिसाइल का अधिकतम सीमा तक उड़ान का परीक्षण सफलतापूर्वक किया जा चुका है। मिसाइल को उन्नत एवियोनिक्स के साथ अत्याधुनिक लघु इन्फ्रारेड इमेजिंग तकनीक के साथ लैस किया गया है। 'दागो और भूल जाओ' की तकनीक वाली इस पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल के इस परीक्षण ने सेना के लिए तीसरी पीढ़ी की स्वदेशी मैन पोर्टबल एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल हासिल करने का रास्ता बना दिया है।

मैन पोर्टेबल एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (एमपीएटीजीएम) यह तीसरी पीढ़ी की एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (एटीजीएम) नाम से निकाली गई मैन पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल है। इसका विकास भारतीय कंपनी वीईएम टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड की साझेदारी में डीआरडीओ ने किया है। एटीजीएम कम वजन वाली लंबी बेलनाकार मिसाइल है, जिसके मध्य भाग के चारों ओर चार पंखों का समूह होता है। इसे उच्च-विस्फोटक एंटी-टैंक वारहेड के साथ लगाया गया है। इस मिसाइल की लंबाई लगभग 1,300 मिमी. है और वजन कम रखने के लिए एल्यूमीनियम और कार्बन फाइबर लॉन्च ट्यूब के साथ लगभग 120 मिमी का व्यास रखा गया है।

मिसाइल का कुल वजन 14.5 किलोग्राम और इसकी कमांड लॉन्च यूनिट (सीएलयू) का वजन 14.25 किलोग्राम है, जो लेजर ऑल-वेदर को डिजिटल ऑल-वेदर के साथ जोड़ती है। इसकी मारक क्षमता लगभग 2.5 किमी है। इसके छह विकासात्मक परीक्षण पूरे किये जा चुके हैं। पहला और दूसरा परीक्षण 15 और 16 सितम्बर, 2018 को किया गया। इसके बाद तीसरा और चौथा सफल परीक्षण 13-14 मार्च, 2019 को राजस्थान के रेगिस्तान में किया गया। पांचवां परीक्षण 11 सितम्बर, 2019 को आंध्र प्रदेश के कुर्नूल में और छठा परीक्षण 21 जुलाई, 2021 को किया गया था। इसके बाद अब उपयोगकर्ता परीक्षण शुरू किये गए हैं।

सेना के साथ पहला उपयोगकर्ता परीक्षण इसी साल 13 अप्रैल को राजस्थान के पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में किया गया था। आज हुए दूसरे परीक्षण के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस प्रणाली के सफल परीक्षणों के लिए डीआरडीओ और भारतीय सेना की सराहना की है। उन्होंने इसे उन्नत प्रौद्योगिकी-आधारित रक्षा प्रणाली के विकास में आत्मनिर्भरता हासिल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव एवं डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत ने भी इन परीक्षणों से जुड़ी टीमों को बधाई दी।

हिन्दुस्थान समाचार/सुनीत निगम

   

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