गोविन्द देवजी मंदिर में पुलिसकर्मियों की संख्या बढ़ाने की मांग
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- Jul 28, 2025
जयपुर, 28 जुलाई (हि.स.)। हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर में और सोमवार को बाराबंकी के औसानेश्वर मंदिर में भगदड़ में कई श्रद्धालुओं की मृत्यु और दर्जनों के घायल होने की खबर से देशभर के श्रद्धालुओं में चिंता का माहौल है। दोनों स्थानों पर भीड़ के दबाव और करंट फैलने की अफवाह के कारण भगदड़ की स्थिति उत्पन्न हुई। तीज के साथ प्रदेश में त्योहारों का मौसम शुरू हो गया है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव निकट ही है। उसके बाद गणेश चतुर्थी आएगी। श्री गोविंद देव जी मंदिर और मोती डूंगरी गणेश मंदिर में बेतहाशा श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। गोविंद देवजी मंदिर में तो रविवार एवं एकादशी को ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। प्रदेश की बात करें तो खाटूश्यामजी, सालासर बालाजी, सांवलिया सेठ सहित अन्य बड़े मंदिरों प्राय: रोजाना ही हजारों की संख्या में दर्शनार्थी दर्शन करने पहुंच रहे है।
ऐसे में किसी भी अप्रिय स्थिति से बचाव के लिए सुरक्षा प्रबंधों को लेकर श्रद्धालु एवं विभिन्न धार्मिक संगठनों ने सरकार और प्रशासन से आवश्यक कदम उठाने की मांग की है। मंदिर परिसर एवं आस-पास के क्षेत्रों में अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती, भीड़ नियंत्रण के लिए बैरिकेडिंग, चिकित्सा सहायता, पेयजल एवं आपातकालीन सेवाओं की उपलब्धता, सीसीटीवी कैमरों की संख्या बढ़ाकर कंट्रोल रूम से निगरानी की व्यवस्था बढ़ाने का सुझाव दिया गया है। श्रद्धालुओं एवं धार्मिक संगठनों ने सरकार से अनुरोध किया है कि राज्य के सभी प्रमुख धार्मिक स्थलों पर विशेष अवसरों पर सुदृढ़ व्यवस्था सुनिश्चित की जाए ताकि आस्था का पर्व शांति एवं सुरक्षा के साथ संपन्न हो।
गौरतलब है कि भीड़ नियंत्रण के लिए पुलिस प्रशासन ने गोविंद देवजी मंदिर में रविवार की दर्शन व्यवस्था में आंशिक बदलाव किया है। लेकिन सबसे पहले दर्शन करने और मोबाइल से दूसरों को सबसे पहले दर्शन करवाने की होड़ के चलते व्यवस्था पटरी पर नहीं आ रही। मोबाइल से प्रोफेशनल रील बनाने वाले एक नैरेटिव सेट करने में लगे हुए हैं कि गोविंद देवजी मंदिर में दर्शन व्यवस्था पूर्व की तरह हो। जबकि पुलिस और मंदिर प्रशासन श्रद्धालुओं की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रहा है। ऐसे में अब एआई केमरे से रील बनाने वालों की पहचान कर धर पकड़ की तैयारी की जा रही है।
जीर्णशीर्ण मंदिरों का कराएं जीर्णोद्धार
कई मंदिर प्रबंधनों ने सरकार से निवेदन है कि मंदिर प्रशासन के साथ सभी मंदिरों में उत्सवों में श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए उचित पुलिस व्यवस्था की जाए। आपातकालीन व्यवस्थाओं पर ध्यान दिया जाए। जो मंदिर जीर्णशीर्ण है, ज्यादा प्राचीन है उनका सर्वेक्षण कराकर जीर्णोद्धार कराया जाए। झालावाड़ स्कूल हादसे के बाद अभी पूरा प्रशासन केवल स्कूलों पर ही ध्यान दे रहा है जबकि चारदीवारी में कई मंदिर और अन्य भवन भी जीर्णशीर्ण है। उनकी मरम्मत करवाना बहुत जरुरी है।
गीता गायत्री मंदिर के पं. राजकुमार चतुर्वेदी ने बताया कि हरिद्वार में भगदड़ की घटना से सबक लेने की आवश्यकता है। इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि भीड़ प्रबंधन एवं सुरक्षा व्यवस्था में किसी भी प्रकार की लापरवाही घातक हो सकती है।
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हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश



