राष्ट्रीय संगोष्ठी में उत्तराखंड में जलवायु अनुकूलन पर विमर्श
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- Mar 17, 2025

नैनीताल, 17 मार्च (हि.स.)। कुमाऊं विश्वविद्यालय के यूजीसी-एमएमटीटीसी सभागार में सोमवार को ट्राई-इम्पैक्ट ग्लोबल और कुमाऊं विश्वविद्यालय के डीएसबी परिसर के समाजशास्त्र विभाग के संयुक्त तत्वावधान में उत्तराखंड में जलवायु अनुकूलन’ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गई। इस अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने अपने शोध और अनुभव साझा किए।
कार्यक्रम का शुभारंभ कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डीएस रावत ने दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. पीसी जोशी, कला संकायाध्यक्ष प्रो. रजनीश पांडे, संयोजक मनोज भट्ट और प्रो. ज्योति जोशी के साथ संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन करके किया। कार्यशाला में स्वागत उद्बोधन में प्रो. ज्योति जोशी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन अब केवल चर्चा का विषय नहीं रहा, बल्कि एक वास्तविक संकट बन चुका है, जिसका प्रभाव उत्तराखंड में विशेष रूप से महिलाओं के दैनिक जीवन पर पड़ रहा है। ट्राई-इम्पैक्ट ग्लोबल के प्रतिनिधि मनोज भट्ट ने बताया कि उनके संगठन ने उत्तराखंड में जलवायु अनुकूलन की 360 से अधिक सफल कहानियों का दस्तावेजीकरण किया है। उन्होंने कहा, ‘हमारी योजना इन अनुभवों को एक डिजिटल मानचित्र पर प्रदर्शित करने की है, जिससे यह मूल्यवान ज्ञान शोधार्थियों, नीति-निर्माताओं और उद्यमियों तक पहुंच सके।’
मुख्य वक्ता प्रो. पीसी जोशी ने वैश्विक परिप्रेक्ष्य में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों पर गहन विचार-विमर्श किया। उन्होंने कहा, ‘आज अमेरिका जैसे विकसित देश भी इस संकट से अछूते नहीं हैं।’ उन्होंने हिमालयी क्षेत्रों पर जलवायु परिवर्तन के विशेष प्रभावों का विश्लेषण करते हुए पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक विज्ञान के समन्वय पर बल दिया। कुलपति प्रो. डीएस रावत ने जलवायु अनुकूलन और सतत विकास के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले छह व्यक्तियों - देवेन्द्र सिंह राठी, नेपाल सिंह कश्यप, कार्तिक पवार, आकांक्षा सिंह, नरेंद्र सिंह मेहरा और हिमांशु बिष्ट को सम्मानित किया। उन्होंने कहा, ‘जलवायु परिवर्तन का समाधान केवल नीतियों के माध्यम से संभव नहीं है, बल्कि इसके लिए सामूहिक प्रयास आवश्यक हैं। हमें स्थानीय समुदायों को जागरूक करना होगा और उनके अनुभवों को वैज्ञानिक अनुसंधान के साथ जोड़ना होगा।’ प्रो. रजनीश पांडे ने भी विचार रखे। संचालन संदीप चोपड़ा ने किया।
हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. नवीन चन्द्र जोशी