एनईपी के कार्यान्वयन में सक्रिय रूप से योगदान दें अल्पसंख्यक संस्थान : धर्मेंद्र प्रधान

नई दिल्ली, 18 दिसंबर (हि.स.)। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 को अक्षरशः लागू करने की तत्काल आवश्यकता पर बल देते हुए बुधवार को कहा कि अल्पसंख्यक संस्थान एनईपी के कार्यान्वयन में सक्रिय रूप से योगदान दें। प्रधान ने कहा कि 21वीं सदी की ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था में भारत नेतृत्व करेगा और दोहराया कि विकसित भारत का सपना जाति या धर्म से परे सभी भारतीयों के सामूहिक प्रयासों से ही साकार हो सकता है। भारत का समावेशी समाज वैश्विक चुनौतियों के समाधान के लिए एक प्रकाश स्तंभ के रूप में काम करेगा।

प्रधान आज दिल्ली में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान आयोग के 20वें स्थापना दिवस और अल्पसंख्यक अधिकार दिवस पर आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि एनईपी 2020 का लेटर एंड स्पिरिट में क्रियान्वयन आज समय की मांग है। प्रधान ने कौशल विकास और अकादमिक बैंक क्रेडिट, एनसीआरएफ जैसी पहलों के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, “एनईपी के तेज क्रियान्वयन, एनईपी के तहत एनसीआरएफ जैसे आधुनिक इंस्ट्रूमेंट्स को लागू करने में अल्पसंख्यक संस्थानों को और अधिक सहयोग करना होगा। हुनर को जब हम एकेडमिक क्रेडिट में बदलेंगे उसी से सबके विकास का रास्ता निकलेगा।”

प्रधान ने कहा कि हमारे देश के संविधान के गौरवशाली 75 वर्ष पूर्ण हुए हैं, ये संविधान ही है जिसने देश के अल्पसंख्यकों को सम्मानपूर्वक जीवन जीने का अधिकार दिया है। शिक्षा के माध्यम से अल्पसंख्यकों को बेहतर जीवन देने के लिए राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान आयोग का गठन हुआ। उन्होंने कहा कि पिछले साढ़े दस साल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने जाति और धर्म के आधार पर बिना किसी भेदभाव के 'सबका साथ-सबका विकास' के मंत्र को आत्मसात कर हर वंचित को आवास, बैंक खाता, गैस सिलेंडर, मुफ्त राशन जैसी मूलभूत सुविधाएं दी हैं। प्रधान ने कहा कि हमारे लिए जाति, धर्म नहीं बल्कि गरीब, किसान, महिला और युवा महत्वपूर्ण हैं। इनका समुचित विकास ही हमारा ध्येय है।

प्रधान ने कहा कि 21वीं सदी की ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था में भारत नेतृत्व करेगा और दोहराया कि विकसित भारत का सपना जाति या धर्म से परे सभी भारतीयों के सामूहिक प्रयासों से ही साकार हो सकता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत का समावेशी समाज वैश्विक चुनौतियों के समाधान के लिए एक प्रकाश स्तंभ के रूप में काम करेगा। उन्होंने अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान के लिए राष्ट्रीय आयोग के समर्पित प्रयासों की सराहना की तथा सभी के कल्याण के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई।

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हिन्दुस्थान समाचार / सुशील कुमार

   

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