वैज्ञानिक ढंग से प्याज की करें खुदाई एवं भण्डारण, होगा बेहतर लाभ : डॉ. अरुण सिंह

प्याज़ का काल्पनिक फोटो

कानपुर, 13 मई (हि.स.)। प्याज ऐसी फसल है जिसकी बाजार में मांग भी सदैव रहती है और दाम भी बेहतर मिल जाते हैं। इन दिनों यह फसल लगभग पककर तैयार हो गई है। लेकिन खुदाई और भण्डारण में जानकारी के अभाव में किसान अधिक लाभ नहीं प्राप्त कर पाते। ऐसे में किसानों को चाहिये कि इसकी खुदाई और भण्डारण वैज्ञानिक ढंग से करें।

खासकर जून और जुलाई माह में भण्डारण के दौरान अधिक देखभाल की जरुरत है। ऐसा करने से किसान बेहतर लाभ पा सकते हैं। यह बातें मंगलवार को वरिष्ठ उद्यान वैज्ञानिक डॉ. अरुण कुमार सिंह ने कही।

चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के दलीप नगर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ उद्यान वैज्ञानिक डॉ अरुण कुमार सिंह ने बताया कि वर्तमान समय में प्याज की फसल किसानों की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने में सहायक सिद्ध होगी। लेकिन यह तभी संभव होगा कि जब प्याज की खुदाई उपरांत तकनीकी तथा भंडारण आदि क्रियाएं वैज्ञानिक तरीके से की जाए। उन्होंने बताया कि प्याज फसल की लगभग 50 प्रतिशत पौधों का ऊपरी भाग झुक जाने तथा पत्तियां पीली पड़ जाने के एक सप्ताह बाद खुदाई करनी चाहिए। वर्तमान समय में क्षेत्र की अधिकांश फसल लगभग पक कर तैयार है। कटाई उपरांत प्रबंधन में प्याज कंदों पर ढाई से तीन सेंटीमीटर छोड़कर ऊपर की सूखी पत्तियों को हटा देना चाहिए। इसके पश्चात सड़े, गले व रोग ग्रस्त कंदों को हटाकर अलग कर देना चाहिए, फिर कंदों के आकार के आधार पर ग्रेडिंग की जाती है।

--जून और जुलाई में अधिक नुकसान

बताया कि आम तौर पर सड़न के कारण नुकसान विशेष रूप से जून और जुलाई में भंडारण के प्रारम्भिक महीने में चरम पर होता है। उच्च नमी के साथ मिलकर उच्च तापमान नुकसान का परिणाम बनता है। हालांकि प्याज के उचित ग्रेडिंग और गुणवत्ता एवं अच्छे वेंटिलेशन की स्थिति में सड़न के कारण नुकसान को कम कर सकते हैं। प्याज की पैकिंग के लिए जालीदार प्लास्टिक के बोरा का प्रयोग किया जाता है, जिससे हवा का पर्याप्त मात्रा में आवागमन बना रहे। प्याज आम तौर पर चार से छह महीने की अवधि के लिये मई से नवम्बर तक रखा जाता है। हालांकि, 50-90 फीसदी भंडारण नुकसान जीनोटाइप और भंडारण की परिस्थितियों के आधार पर देखा गया है। प्याज भंडारण का तापमान एवं आर्द्रता कंदों के वजन में कमी, कंदों का अंकुर निकलना, सड़ना तथा कंदों की गुणवत्ता को भंडारण में प्रभावित करता है। पारम्परिक भंडारण में भंडारित कंदों का वजन एवं अन्य हानि होती है। इसलिए उन्नत भंडार गृहों का प्रयोग किया जाना आवश्यक है।

--भण्डारण के लिए मिलता है अनुदान

उद्यान वैज्ञानिक ने बताया कि प्याज का उन्नत भंडार गृहों का निर्माण ऊपर उठे हुए प्लेटफार्म पर बनाया जाता है। ताकि नीचे जमीन की नमी को रोका जा सके। भंडार गृह के अंदर तापमान को बढ़ने से रोकने के लिए छत में उपयुक्त सामग्री अथवा टाइल्स का प्रयोग करना चाहिए। तथा वायु के पर्याप्त संचार के लिए भंडारण की तल तथा प्याज कंदों कि दो तह के मध्य हवादार संरचना बनानी चाहिए। किसान भाई प्याज भण्डारण संरचना में मिलने वाले अनुदान के लिये जिला उद्यान अधिकारी के कार्यालय से सम्पर्क कर सकते हैं। इसमें 250 कुन्तल भण्डारण क्षमता वाले संरचना पर 87500 रुपए का अनुदान है, जिसका लाभ किसान ले सकते हैं।

डॉ अरुण कुमार सिंह ने किसानों से अपील की है कि वे भंडार गृह इस प्रकार बनाएं ताकि धूप सीधे कंदों पर न पड़े। भंडारण में कंदों के ढेर की चौड़ाई गर्मियों में 60 से 75 सेंटीमीटर, हल्के आर्द्र मौसम में 75 से 90 सेंटीमीटर, तथा हल्के शुष्क मौसम की दशा में 90-120 सेंटीमीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए। इसके साथ-साथ छोटे आकार के कंदो के ढेर की ऊंचाई 100 सेंटीमीटर गर्म मौसम में रखी जाती है। जबकि बड़े कंदो को हल्के मौसम में 120 सेंटीमीटर तक ऊंचाई के ढेरों में रखा जा सकता है।

डॉ सिंह ने बताया कि प्याज औषधीय गुण की दृष्टि से काफी लाभकारी होता है। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए विटामिन सी की जरूरत होती है और प्याज में मौजूद फाइटोकेमिकल्स शरीर में विटामिन सी को बढ़ाने का काम करते हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / मो0 महमूद

   

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