जाति के आधार पर भेदभाव करना सबसे बड़ा अपराध : भैयाजी जोशी

संबोधित करते हुए संघ के पूर्व सरकार्यवाह सुरेश भय्याजी जोशी

जयपुर, 11 अक्टूबर (हि.स.)। देश में जातिगत जनगणना की चर्चाओं के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य सुरेश जोशी उपाख्य भैयाजी का शुक्रवार काे बड़ा बयान सामने आया है। भैयाजी जोशी ने समाज में व्याप्त जातिगत व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि जाति के आधार पर छोटा या बड़ा मानने से बड़ा अपराध क्या हो सकता है? किसी को छोटा-बड़ा, ऊंचा-नीचा मानने का अधिकार किसने दिया। गलत भावनाएं जब विस्तृत रूप में फैलती हैं तो उसका विशाल रूप बनता है। दुर्भाग्य से भारत में जाति विरोध की जो खाई है उसको दूर करने का प्रयास करना होगा। भैयाजी ने जयपुर में संघ के विजयादशमी उत्सव एवं पथ संचलन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ये बातें कही।

भैयाजी जोशी ने कहा कि जन्म के आधार पर जातियां तय होती हैं। हमको हमारा नाम मिलता है, हमारी भाषा मिलती है, भगवान मिलते हैं, धर्म के ग्रंथ मिलते हैं। हम कई तरह के महापुरुषों के वंशज कहलाते हैं, क्या वो किसी एक जाति के कारण हैं? क्या कोई कह सकता है कि हरिद्वार कौन सी जाति का है, क्या हमारे 12 ज्योतिर्लिंग किसी जाति के हैं, क्या इस देश के कोने-कोने पर स्थापित 51 शक्तिपीठ किसी जाति के हैं। इस देश के चारों दिशाओं में रहने वाला जो अपने आप को हिंदू मानता है, वो इन सब बातों को अपना मानता है। फिर भेद कहां है?

उन्हाेंने कहा कि जिस तरह से राज्य की सीमाएं हमारे बीच कोई विभाजन पैदा नहीं कर सकती हैं, उसी तरह जन्म पर आधारित चीजें हमें विभाजित नहीं कर सकती हैं। यदि कोई गलत धारणा है तो उसे बदला जाना चाहिए। यदि कोई भ्रम या बेकार अहंकार है तो उसे समाप्त करते हुए समझना हाेगा कि हम सब एक समाज के अंग हैं।

संघ के पूर्व सरकार्यवाह भैयाजी जोशी ने कहा कि प्रधानमंत्री लोकल के लिए वोकल होने की बात कहते हैं। आज जाने-अनजाने में हम बहुराष्ट्रीय कंपनियों के ग्राहक बन गए हैं। दुनिया के अन्य देश भारत को बाजार समझते हैं। क्या भारत ऐसा ही रहेगा या अपने पैरों पर खड़ा होकर अपनी पहचान बनाएगा। मैं समझता हूं कि देशभक्ति के भाव से सामान्य जन खड़े होकर अपने आचरण के प्रति सजग होते जाएं। उन्होंने कहा कि आज हमें एक नागरिक के नाते मिले हुए अधिकाराें और कर्तव्यों को समझने की आवश्यकता है। दुनिया में कहीं भी देश को साफ-सुथरा रखने के लिए विज्ञापन नहीं लगते हैं, कोई आह्वान नहीं होता है। वहां सामान्य व्यक्ति जागरूक रहकर अपना परिसर, अपना स्थान साफ-सुथरा रखता है। यहां पर स्वच्छ भारत को लेकर अभियान चलाना पड़ता है। फिर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के उसे वचन का स्मरण होता है कि जिस दिन इस देश का हर व्यक्ति यह संकल्प लेगा कि मैं गंदगी नहीं करूंगा तो साफ सुथरा होने में कितना समय लगेगा। उन्होंने कहा कि देश में चुनाव होते हैं, संविधान ने हमको मतदान का अधिकार दिया है। भारत के पढ़े-लिखे लोग हैं, फिर देश में क्यों शत-प्रतिशत मतदान नहीं होता है। जबकि मतदान तो हर व्यक्ति का अपना अधिकार है।

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हिन्दुस्थान समाचार / रोहित

   

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