राजनीति में व्याप्त सुप्रीमो कल्चर समाजवाद की राह में बाधा : रघु ठाकुर

प्रयागराज, 12 अगस्त (हि.स.)। आज के भारतीय लोकतंत्र में लोहिया के सपनों का भारत बनाना एक चुनौती है। भारत की राजनीति में व्याप्त सुप्रीमो कल्चर वास्तविक समाजवाद की राह में एक बाधा की तरह है। उनके अनुसार लोहिया के समाजवाद का अर्थ था स्वयं को सहनशील बनाते हुए दूसरों को बेहतर जीवन प्रदान करना। इसके लिए सबसे पहले समाज में व्याप्त आर्थिक विषमता को खत्म करना होगा।

उक्त विचार ईश्वर शरण पीजी कॉलेज में राजनीति विज्ञान विभाग एवं निर्वाचन साक्षरता क्लब की ओर से प्रो. अशोक पंकज द्वारा लिखित पुस्तक ‘लोहिया के सपनों का भारत : भारतीय समाजवाद की रूपरेखा’ पर परिचर्चा में गांधीवादी समाजवादी चिंतक एवं लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय संरक्षक रघु ठाकुर ने व्यक्त किया।

रघु ठाकुर ने कहा कि तीसरी दुनिया की समृद्धि का ख्वाब आज भी ख्वाब की तरह है। नेहरू के जमाने में जो आर्थिक गैर बराबरी व्याप्त थी वह आज भी व्याप्त है। उन्होंने पुस्तक से लोहिया को उद्धृत करते हुए कहा कि लोहिया के समाजवाद के सपनों की हकीकत हम देखें तो भारतीय समाज उससे बहुत दूर चला आया है, आज भारतीय लोकतंत्र का नया सामंतीकरण हो रहा है।

काउंसिल फॉर सोशल डेवलपमेंट के निदेशक एवं पुस्तक के लेखक प्रो. अशोक पंकज ने कहा कि भारतीय समाजवाद की कई धाराएं आजादी के आंदोलन के दौरान निकली। पुस्तक में केंद्रित समाजवाद का विचार समाजवाद की उस धारा को अभिव्यक्त करता है जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की नीतियों के आलोचना के आधार पर भारतीय आम जनता, गरीबों के हक में खड़े होकर समाजवाद की बात करता है। पुस्तक में कई आंकड़ों और लोहिया के उद्धरणों के माध्यम से प्रो. अशोक पंकज आज भी लोहिया के सपनों को भारत की आवश्यकता बताते हैं।

अध्यक्षता करते हुए कॉलेज के प्राचार्य प्रो. आनंद शंकर सिंह ने कहा कि भारतीय राजनीति के राजतंत्र की परम्परा में भी राजा को दंडधर और जनता का सेवक (धृत्य) ही बताया गया है। उसमें कहीं ंभी सुप्रीमो कल्चर का भाव नहीं आया था, जिसे आज की राजनीति में देखा जा रहा है। उन्होंने लोहिया को याद करते हुए कहा कि रोटी और संस्कृति दोनों एक दूसरे के वैसे ही पूरक हैं जैसे स्वतंत्रता और समानता। लोहिया भारतीय धरातल के अनुरूप गांधीवाद से प्रेरणा लेते हुए समाजवाद की आधारशिला तैयार करते हैं। उन्होंने कहा लोहिया के समाजवादी विचारों की जड़ों को भारतीय चिंतन परम्परा में जहां ‘साईं इतना दीजिए जामे कुटुम्ब समाय, मैं भी भूखा न रहूं, साधु न भूखा जाय’ जैसा वितरण का और दूसरों की फिक्र का भाव है। उन्होंने लोहिया को भारतीय समाजवाद का पुरोधा और भारतीय समाजवाद की सैद्धांतिक जमीन तैयार करने वाला विचारक बताया।

इस अवसर पर अतिथियों का स्वागत राजनीति विज्ञान के सहायक प्रोफेसर डॉ. अंकित पाठक ने किया। कार्यक्रम में राजनीति विज्ञान के संयोजक प्रो. शिवहर्ष सिंह, कॉलेज आईक्यूएसी की संयोजिका प्रो. अनुजा सलूजा, मध्यकालीन और आधुनिक इतिहास की प्रो. रचना सिंह, समाजशास्त्र विभाग के प्रो. आनंद सिंह, प्रो मनोज कुमार दुबे समेत कॉलेज के सभी सहायक प्रोफेसर सहित सैकड़ों शोधार्धी और विद्यार्थी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन राजनीति विज्ञान विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ अखिलेश त्रिपाठी ने किया।

हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र / बृजनंदन यादव

   

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