दून पुस्तकालय में ‘शिक्षा और उसकी चिंताएं विषय पर विमर्श

देहरादून, 16 फरवरी (हि.स.)। दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र और अंकुर संस्था के संयुक्त तत्वाधान में शनिवार को ‘शिक्षा और उसकी चिंताएं’ विषय पर विमर्श का आयोजन किया गया। इसमें शिक्षाविदों, साहित्यकारों और प्रशासनिक अधिकारियों ने भाग लिया।

मुख्य वक्ता टिहरी के मुख्य शिक्षा अधिकारी शिव प्रसाद सेमवाल ने कहा कि समाज में जो भी नया और अनोखा दिखाई देता है, वह रचनात्मक विचारों से ही जन्म लेता है। उन्होंने विद्यालयों में सृजनात्मकता के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि सूचना व तकनीकी युग में भी मौलिकता, हाथ के कौशल और बौद्धिक संपदा का कोई विकल्प नहीं है। शिक्षा में संवेदनशीलता और मौलिकता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि तथ्य, सत्य और कथ्य के साथ चलने वाले शिक्षक ही समाज को आगे ले जा सकते हैं।

उन्होंने कहा कि रचनात्मकता ही है, जो समाज को जीवंत बनाए रखती है। विद्यालयों में सृजनात्मकता की आवश्यकता पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि सूचना, तकनीक और कम्प्यूटरीकृत युग में भी मौलिकता, हाथ के कौशल और बौद्धिक सम्पदा का कोई विकल्प नहीं हो सकता। भावनाओं की कद्र करने वाले शिक्षकों की आवश्यकता है। तथ्य, सत्य और कथ्य के साथ चलने वाला और चलाने वाला शिक्षक ही हो सकता है। मनुष्य के मस्तिष्क के विकास की यात्रा करोड़ों साल पुरानी है। अंकुर की टीम की सोच का विस्तार पूरे राज्य में हो। जो छात्र किताबी पढ़ाई से बाहर सहयोग करते हैं उनका नजरिया आम नहीं रह जाता।

बतौर विशिष्ट वक्ता व्यंग्यकार, कवि, शिक्षाविद् और जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, देहरादून के पूर्व प्राचार्य राकेश जुगरान ने कहा कि सार्वजनिक विद्यालयों में भारत के नौनिहाल बसते हैं। पढ़ते हैं आगे बढ़ते हैं। आज भी हाशिए के समाज का भविष्य सार्वजनिक विद्यालयों में ही पुष्पित-पल्लवित हो रहा है।

अंकुर के सचिव, साहित्यकार एवं शिक्षक मनोहर चमोली ने कहा कि यदि देहरादून जनपद में सात लाख बच्चे हैं जिनको अंकों की प्रतिस्पर्धा से इतर मौलिकता, रचनात्मकता और हाथ के कौशलों की ओर ले जाने की ज़रूरत है। पूरे उत्तराखण्ड में तीस लाख से अधिक बच्चे हैं जिन्हें रचनाशील और संवेदनशील बनाने के लिए सिर्फ और सिर्फ स्कूली पढ़ाई के भरोसे नहीं रहा जा सकता।

कार्यक्रम को अंकुर के अध्यक्ष मोहन चौहान, दून पुस्तकालय के समन्वयक चन्द्रशेखर तिवारी, शिक्षक सतीश जोशी प्रदीप बहुगुणा ‘दर्पण’, उप जिलाधिकारी ऋषिकेश शैलेन्द्र नेगी, जनकवि अतुल शर्मा, नन्दकिशोर हटवाल, मुकेश नौटियाल, सत्यानन्द बडोनी, सुनीता मोहन, कीर्ति भण्डारी, अनीता बहुगुणा, श्रुति जोशी, सुंदर सिंह बिष्ट और डॉ. लालता प्रसाद आदि मौजूद रहे। इस अवसर पर राजकीय इंटर कॉलेज, रणाकोट में बच्चों के साथ तैयार की गई अंकुर पत्रिका का लोकार्पण भी किया गया।

हिन्दुस्थान समाचार / Vinod Pokhriyal

   

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