हिमाचल में स्टोन क्रशर इकाइयों को लेकर सांसद सिकंदर कुमार ने राज्यसभा में पूछे सवाल
- Admin Admin
- Feb 06, 2025
![](/Content/PostImages/cea28aa6c72e99ecc9dfacd062f22faf_1605484461.jpg)
शिमला, 06 फ़रवरी (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश से भाजपा सांसद डॉ. सिकंदर कुमार ने प्रदेश में स्टोन क्रशर इकाइयों के लिए पर्यावरणीय दिशा-निर्देशों से जुड़े प्रश्न गुरूवार को राज्यसभा में उठाए। उन्होंने केंद्र सरकार से जानना चाहा कि क्या स्टोन क्रशिंग इकाइयों के लिए पर्यावरणीय दिशा-निर्देशों को पुनः बहाल करने के संबंध में राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ कोई परामर्शी कार्यशाला आयोजित की गई है? साथ ही उन्होंने यह भी पूछा कि क्या इन इकाइयों की निगरानी के लिए औचक निरीक्षण हेतु किसी समिति का गठन किया गया है और क्या सरकार हिमाचल में स्टोन क्रशर इकाइयों से होने वाले वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कोई ठोस कदम उठा रही है?
पर्यावरणीय दिशा-निर्देश जारी, राज्यों को किया गया अवगत
राज्यसभा में इन सवालों के जवाब में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने सदन को अवगत कराया कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जुलाई 2023 में स्टोन क्रशिंग इकाइयों के लिए पर्यावरणीय दिशा-निर्देश तैयार किए थे। ये दिशा-निर्देश सभी राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों और प्रदूषण नियंत्रण समितियों, जिनमें हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी शामिल है, को परिचालित कर दिए गए हैं।
मंत्री ने बताया कि इन दिशा-निर्देशों में स्टोन क्रशिंग इकाइयों से धूल उत्सर्जन को कम करने और रोकने के लिए सामान्य व स्त्रोत-विशिष्ट उपायों को निर्धारित किया गया है। राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों और प्रदूषण नियंत्रण समितियों को यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी दी गई है कि संबंधित इकाइयां इन दिशा-निर्देशों का पूरी तरह पालन करें।
औचक निरीक्षण के लिए जिला स्तरीय समिति के गठन के निर्देश
मंत्री ने सदन को यह भी जानकारी दी कि पर्यावरणीय दिशा-निर्देशों के तहत जिला स्तर पर एक निगरानी समिति के गठन का प्रावधान किया गया है। इस समिति की अध्यक्षता जिला मजिस्ट्रेट/उपायुक्त करेंगे और यह अपने अधिकार क्षेत्र में स्थित स्टोन क्रशिंग इकाइयों की नियमित रूप से औचक निरीक्षण कर निगरानी करेगी।
सख्त पर्यावरणीय नियमों का पालन जरूरी
उन्होंने आगे बताया कि स्टोन क्रशिंग इकाइयों को पर्यावरण (संरक्षण) नियम 1986 के तहत अधिसूचित उत्सर्जन मानकों का पालन करना होगा। इसके तहत क्रशर इकाइयों से निकलने वाले धूल और अन्य हानिकारक तत्वों के उत्सर्जन को नियंत्रित करने के सख्त मानक तय किए गए हैं।
सरकार उठा रही है जरूरी कदम
मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने यह स्पष्ट किया कि सरकार स्टोन क्रशर इकाइयों के कारण होने वाले वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए निरंतर कदम उठा रही है। उत्सर्जन को कम करने के लिए इन इकाइयों के संचालन, सामग्री भंडारण और कचरे के निपटान को विनियमित करने के सामान्य सिद्धांत तैयार किए जा रहे हैं।
---------------
हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा