गागर में सागर है डॉ प्रदीप चित्रांशी के दोहे : डॉ कल्पना वर्मा

-संग्रह में रचनाकार की गम्भीरता एवं संवेदनशीलता : अरविंद कुमार मिश्र

प्रयागराज, 22 जुलाई (हि.स.)। यह रचना प्रेम व सम्बंधों को विस्तार तथा गहराई देती है। इसके साथ ही समकालीन समाज की बहुत सारी समस्याओं का समाधान भी प्रस्तुत करती है। इसमें दोहे के माध्यम से प्रदीप चित्रांशी ने गागर में सागर की बात की है।

उक्त विचार बतौर मुख्य अतिथि डॉ. कल्पना वर्मा ने सोमवार को सिविल लाइन स्थित एक काम्प्लेक्स में डॉ. प्रदीप चित्रांशी द्वारा रचित एवं लोक रंजन प्रकाशन द्वारा प्रकाशित दोहा संग्रह ‘रमो राम के नाम में’ का लोकार्पण करते हुए व्यक्त किया। उन्होंने उपरोक्त दोहा संग्रह की चर्चा करते हुए दोहे के तकनीकी एवं साहित्यिक पक्षों की विस्तार से चर्चा की।

मुख्य वक्ता डॉ. अरविंद कुमार मिश्र ने कहा कि समकालीन दौर वैश्वीकरण, उत्तर आधुनिकता, उपभोक्तावाद, मूल्यों का क्षरण और पहचान के संकट के दौर में यह दोहा संग्रह “रमो राम के नाम में“ एक आध्यात्मिक रचना के रूप में रचनाकार की गम्भीरता, संवेदनशीलता एवं समाज के प्रति सरोकार और परिपक्वता को महसूस किया जा सकता है।

विशिष्ट अतिथि प्रो. रवि कुमार मिश्र ने कहा कि किसी भी रचनाकार के लिए समकालीन चुनौतियों के प्रति उत्तर के रूप में इस तरह की रचनाओं से समाज को नई दिशा मिलेगी और तमाम संगठन और समकालीन चुनौतियों से जूझने का मार्ग प्रशस्त होगा। वक्ता डॉ. विमल व्यास ने गुरु को समर्पित माता-पिता और समय के साथ संवाद भक्ति इस रचना को अद्भुत एवं अनुपम बताया। वक्ता एडवोकेट नवीन सिन्हा ने रचनाकार की सरल सहज प्रवाह में भाषा में प्रस्तुत इस रचना का काव्य पाठ किया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए शहर के मशहूर शायर डॉ. अनवर अब्बास ने दोहे की खूबसूरती को बयान करते हुए कहा कि प्रदीप चित्रांशी के यह दोहे कालजयी हैं और संग्रह बेजोड़ है। डॉ. प्रदीप चित्रांशी ने प्रस्तुत रचना के बारे में अपने अनुभव साझा किये। लोक रंजन प्रकाशन के रंजन पांडे ने रचनाकार की रचना धर्मिता एवं पुस्तक के प्रकाशन से सम्बंधित अपना संस्मरण साझा किया। कार्यक्रम का संचालन शहर समता के सम्पादक उमेश श्रीवास्तव ने किया। इस अवसर पर अन्य कई लोग उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त

हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र / दिलीप शुक्ला

   

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