श्रीराम के नाम पर रखा गया था सूरीनाम देश का नाम : अरुण कुमार हरद्येन

मेरठ, 23 फरवरी (हि.स.)। सूरीनाम के राजदूत अरुण कुमार हरद्येन ने कहा कि 1975 में आजाद हुए सूरीनाम का नाम श्रीराम के नाम पर ही रखा गया था और सूरीनाम पर भारत और भारतीयों का काफी प्रभाव है।

आईआईएमटी विश्वविद्यालय में शुक्रवार को दक्षिण अमेरिका महाद्वीप में स्थित देश सूरीनाम के राजदूत अरुण कुमार हरद्येन ने छात्रों से मुलाकात की। इसके बाद सूरीनाम के इतिहास और भौगोलिक परिस्थितियों के बारे में बातचीत की। राजपूत और कमर्शियल अधिकारी संध्या कुमारी मांग्रे का आईआईएमटी विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. दीपा शर्मा व कुलसचिव डॉ. वीपी राकेश ने स्वागत किया।

विश्वविद्यालय भ्रमण के दौरान राजदूत महोदय ने आईआईएमटी विश्वविद्यालय के हरित और शैक्षिक वातावरण की प्रशंसा की। मुख्य सभागार में आयोजित कार्यक्रम में पहुंचे राजदूत का स्वागत निदेशक प्रशासन डॉ. संदीप कुमार व कमर्शियल अधिकारी संध्या कुमारी मांग्रे का स्वागत रेडियो डायरेक्टर डॉ. सुगंधा श्रोतिया ने किया। कार्यक्रम का संचालन कर रहीं श्वेता रस्तोगी ने राजदूत महोदय का जीवन परिचय दिया।

सूरीनाम के राजदूत अरुण कुमार हरद्येन ने बताया कि सूरीनाम में 27 फीसदी आबादी भी भारतीयों की ही है। यही वजह है कि सूरीनाम में डच, अंग्रेजी के अलावा हिंदी भी बहुतायत से बोली जाती है। राजदूत ने बताया कि सूरीनाम एकमात्र देश है जो 94 प्रतिशत वर्षा वनों से घिरा हुआ है। अभी तक बाक्साइट की सुरंगें ही सूरीनाम की आय का मुख्य स्रोत रहा है। मगर अब गैस और ऑयल रिफाइनरी को आय के नए स्रोत के तौर पर देखा जा रहा है। लिहाजा भारत के साथ संबंधों को प्रगाड़ करने के अलावा सूरीनाम में ऑयल रिफाइनरी के एक्सपर्ट्स की मदद की जरुरत महसूस की जा रही है।

राजदूत अरुण कुमार हरद्येन ने छात्रों और शिक्षकों के सवालों के जवाब भी दिए। इस अवसर पर एकेटीयू के डायरेक्टर डॉ. संदीप माहेश्वरी, आईआईएमटी विश्वविद्यालय के डीन डॉ. सतीश कुमार, डीन नवनीत शर्मा, डीन वरेन्द्र सिंह पटियाल, मीडिया प्रभारी सुनील शर्मा आदि उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/ डॉ. कुलदीप/बृजनंदन

   

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