निजी स्वार्थ के लिए संविधान का दुरुपयोग करने वाली कांग्रेस ने कभी डॉ. भीमराव अंबेडकर के योगदान को मान्यता नहीं दी- सत शर्मा

जम्मू 18 जनवरी (हि.स.)। निजी स्वार्थ के लिए संविधान का दुरुपयोग करने वाली कांग्रेस ने कभी डॉ. भीमराव अंबेडकर के योगदान को मान्यता नहीं दी और आज संविधान बचाओ के नारे पर लोगों को गुमराह करने के लिए मगरमच्छ के आंसू बहा रही है। यह बात जम्मू-कश्मीर भाजपा के अध्यक्ष सत शर्मा ने शनिवार को पार्टी मुख्यालय जम्मू में कार्यकर्ताओं की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही।

सत शर्मा ने कहा कि इतिहास इस बात का गवाह है कि आजादी के बाद दशकों तक देश पर राज करने वाली कांग्रेस ने कभी भी डॉ. अंबेडकर को सम्मान देना या देश के संविधान निर्माण में उनके शानदार योगदान के लिए उन्हें सम्मानित करना जरूरी नहीं समझा और उन्हें दरकिनार कर दिया। उन्होंने कहा कि एक तरफ कांग्रेस ने डॉ. अंबेडकर के योगदान को कमतर आंका, वहीं दूसरी तरफ अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए उनके संविधान का दुरुपयोग किया।

सत शर्मा ने कहा कि यह सबसे दुर्भाग्यपूर्ण है कि कांग्रेस ने कभी भी डॉ. अंबेडकर को किसी पुरस्कार के लिए नहीं सोचा लेकिन जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी और अन्य कांग्रेस नेताओं को देश के सर्वाेच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से नवाजा। सत शर्मा ने कहा कि आज कांग्रेस खुद को संविधान के रक्षक के रूप में पेश कर रही है जो लोगों का विश्वास जीतने के लिए एक हताश प्रयास के अलावा और कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में इस पार्टी ने आपातकाल लगाया था और संवैधानिक प्रावधानों को निलंबित कर दिया गया था मौलिक अधिकारों को सीमित कर दिया गया था और राजनीतिक असहमति को दबा दिया गया था।

सत शर्मा ने कहा कि भाजपा के कहने पर ही 1990 में डॉ. अंबेडकर को भारत रत्न दिया गया था जब वह बाहर से वीपी सिंह सरकार का समर्थन कर रही थी। जब नरेंद्र मोदी ने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला तो संविधान के निर्माता के जीवन के विभिन्न चरणों से जुड़े महत्वपूर्ण स्थानों की पहचान करके और उन पर स्मारक बनाकर डॉ. अंबेडकर को सम्मानित करने के लिए विभिन्न पहल की गईं। सत शर्मा ने कांग्रेस से यह स्पष्ट करने के लिए सवाल किया कि डॉ. अंबेडकर उसके नेताओं द्वारा प्रधानमंत्री के रूप में नेतृत्व की जाने वाली सरकारों के कार्यक्रमों और नीतियों में क्यों नहीं थे। उन्होंने याद दिलाया कि अंबेडकर को जो भी सम्मान दिया गया है वह कांग्रेस के सत्ता से बाहर रहने के बाद ही संभव हुआ है। मोदी सरकार ने डॉ. अंबेडकर के जन्मदिन पर 14 अप्रैल को राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया और उनकी विरासत और योगदान का सम्मान करने के लिए इस दिन को समानता दिवस समरसता दिवस के रूप में मनाया। उनकी विरासत को जीवित रखने के लिए पंचतीर्थ का भी निर्माण किया। सत ने कहा कि संविधान के नाम पर सस्ती राजनीति करने और नाटक करने के बजाय बेहतर होता कि कांग्रेस जनता के बीच जाती और संविधान का दुरुपयोग करने और डॉ. अंबेडकर के साथ बुरा व्यवहार करने के लिए माफी मांगती।

हिन्दुस्थान समाचार / मोनिका रानी

   

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